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त्रुटिपूर्ण आधार कार्डों ने बढ़ाई परेशानी
मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

केंद्र शासन की एक महती योजना आधार कार्ड वर्ष 2013 से बनाए जा रहे हैं जब यह प्रारंभ हुई थी तो युद्ध स्तर पर आधार कार्ड सेंटरों के माध्यम से आधार कार्ड बनाए जाने लगे एक ग्राम या कस्बा अथवा शहरी क्षेत्र में एक से अनेक आधार सेंटर खोल दिए गए जिन पर इतनी भीड़ उमड़ी की घंटो नहीं हफ्तों तक परिवार का नंबर नहीं लगता था।2013 में जिन परिवारों ने आधार कार्ड सेंटर पर संपूर्ण प्रक्रिया पूर्ण कराई उनमें से अधिकांश के आधार कार्ड आज तक नहीं बने हैं तथा जिनके बने हैं उनमे त्रुटिया है कि उनका होना ना होना बराबर है ग्रामीण क्षेत्रों के आधार बनने वाले सेंटर बंद कर दिए गए जिस कारण सुधार करवाने वाले एवं नया आधार कार्ड बनाने वाले सभी परेशान हो रहे हैं वर्तमान में आधार की अनिवार्यता के चलते बच्चों को स्कूल में प्रवेश नहीं मिल रहा है तो कई के अनेक अन्य शासकीय कार्य रुके पड़े हैं। जैसा की विदित है कि केंद्र शासन ने आधार कार्ड की अनिवार्यता लागू कर दी है हालांकि कार्ड बनाने का कार्य 2013 में क्षेत्र में प्रारंभ हुआ था आम्बुआ में तब दो सेंटर चालू किए गए दोनों सेंटर संचालक बाहरी क्षेत्र से थे आधार बनवाने के लिए गुजरात मजदूरी पर गए।ग्रामीणों को वहां से अपने घरों को भेजा गया तथा पूरे परिवार के आधार कार्ड बनवाकर लाने का कहा गया मजदूरी हेतु ग्रामीण आदिवासी समुदाय के मजदूर अपनी मजदूरी छोड़कर उधार रुपए लेकर सपरिवार ग्रामों में आ गए तथा आधार कार्ड बनवाने में जुट गए आधार केंद्रों पर एक- दो नहीं बल्कि सैकड़ों की संख्या में भीड़ एकत्र होने लगी यहां पर आधार कार्ड बनवाने वालों को 1 दिन 2 दिन नहीं बल्कि हफ्तों तक अपना नंबर आने का इंतजार करना पड़ा इधर उन्हें मजदूरी हेतु वापस जाना था मजबूरन उन्हें आधार कार्ड सेंटरों पर मौजूद दलालों के चुंगल में फंस गए तथा सदस्य संख्या के मान से कमीशन देने को मजबूर हो गए परिवार के सदस्यों के मान से 100 से लेकर 500 तक कमीशन लिया गया उस समय समाचार पत्रों में समाचार प्रकाशित किए गए कई स्थानों पर शिकायत भी की गई मगर प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया।2013 में बनाए गए या बनाने की प्रक्रिया में संपूर्ण जानकारी देने वाले परिवारों में से अधिकांश लोगों के आधार कार्ड आज तक नहीं बने हैं वह लोग आधार की रसीद संभाल कर बैठे हैं तथा अब उन्हें पता चला है कि 5 साल बाद भी उनके आधार कार्ड नहीं बने हैं तथा अब वे परेशान होते फिर रहे हैं तथा नया आधार कार्ड बनवाना चाहते हैं मगर आधार कार्ड सेंटर क्षेत्र में बंद हो गए हैं यह भी पता चला है कि जिसके आधार कार्ड बने हैं उनमें अधिकांश काडो॔ में अनेक त्रुटिया है जिसमें नाम, सरनेम, जाति, निवास, पोस्ट ऑफिस का पता गलत लिखा है आम्बुआ मेंं संचालित प्राची कंप्यूटर कियोस्क सेंटर संचालक ने सारी हदें पार करते हुए अनेक आधार कार्ड मेंं पालक के स्थान पर अंशुल अगाल यानि कि स्वयं पालक बन कर अपना नाम लिख दिया यही कई परिवारों के तीन चार बच्चे की जन्म तारीख भी एक जैसी लिख दी मानो सभी बच्चे एक ही दिन पैदा हुए हो इस तरह अनेक त्रुटियां भरा आधार कार्ड आज जी का जंजाल बने हुए हैं सुधार करने हेतु 20-20 किलोमीटर दूर जोबट, आजादनगर, या अलीराजपुर जाना पड़ रहा है जहां पर भी सेंटरों की संख्या कम होने के कारण भीड़ इतनी हैं कि नंबर आना मुश्किल हो रहा है इधर स्कूलों में बच्चों को बगेर आधार कार्ड तथा त्रुटि वाले आधार काडो॔ के कारण प्रवेश नहीं दिया जाने से बच्चे शिक्षा से वंचित होने के कगार पर है।

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