राजनीतिक हलचल जिला अलीराजपुर

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@ चंद्रभान सिंह भदोरिया @ चीफ एडिटर

नागरसिंह का टिकट तय, खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट-

कथित चुनावी सर्वे में पहले पिछड़ते लग रहे अलीराजपुर के तीन बार के विधायक नागरसिंह ने अब अपनी वापसी की है। हाल ही में केंद्रीय खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट में नागरसिंह को जीतने वाला उम्मीदवार बताया गया है। दरअसल मैदानी इलाकों में नागरसिंह की सक्रियता उनकी वापसी करवाती दिख रही है लेकिन यह वापसी उम्मीदवारी को लेकर है जीतने की संभावनाए क्या है आपको अगले अंक में बनाएंगे।

होम सिकनेस मे उलझे नागरसिंह य 15 साल बाद भी सिर्फ अलीराजपुर तक सीमित-

कहते है होम सिकनेस इंसान की प्रगति में बाधक है। यही बात अलीराजपुर विधायक नागरसिंह पर भी फिट बैठती है बंदा आदिवासी विधायक होकर टेलेंटेड भी है युवा भी है लेकिन अलीराजपुर मे ही फंसा हुआ है बताते है कि पार्टी ने एक बार युवा मोर्चे की प्रदेश की कमान देने की सौंपी लेकिन नागरसिंह ने ही मना कर दिया। फिर पिछली बार प्रदेश प्रवक्ता की जिम्मेदारी मिली। मगर एक भी बयान मीडिया में नहीं आया। बताते है बीजेपी उन्हें रतलाम लोकसभा के हिसाब से तैयार करने का मन रखती है लेकिन नागरसिंह है कि अलीराजपुर मे ही खुश है हो भी क्यो नहीं यहां लोग उन्हें विधायक महोदय कहकर प्यार देते है और प्रशासन में उनका एक सीएम की तरह रुतबा भी कायम है लेकिन फिर भी राजनीतिक प्रगति के लिए उन्हें अपना आभामंडल बढाना चाहिए कैसे कांग्रेस मे कांतिलाल भूरिया करने में कामयाब रहे।

 

दादा की बडी विफलता, इलाके की सडक़े बदहाल, अब आग लगने पर कुआं खोद रहे हैं-

अलीराजपुर जिले के जोबट विधायक है माधोसिंह डावर जो कि इस बार किस्मत से या कहें मुकामसिंह की नादानी और विशाल रावत के निकम्मेपन से विधायक बन गए थे लेकिन 5 साल में वह बाकी चीजें तो छोड़ दे अपने इलाके की सडक़े तक नहीं बनवा पाए। उनके गृहनगर से आंबुआ की सडक़ अब बननी शुरु हुई। इतने सालों मे सैकडों हादसे हुए और लोग मारे गये उसका जिम्मेदार कौन? इसी तरह आजादनगर से कट्टीवाडा मार्ग बदहाल है लेकिन उसे बनाने की भी कोई योजना नहीं। अब तो इलाके के लोग कहने लगे है कि जोबट विधानसभा की अधिकांश सडके दिग्विजय सिंह के जमाने की याद दिलाती है इसलिए माधोदादा के प्रति भी लोगों में दिग्विजय के खिलाफ जैसा गुस्सा था वैसा बन रहा है।

 

सुलोचना रावत या विशाल या….?

सुलोचना रावत और विशाल रावत सहित उनके तमाम समर्थक इन दिनों काफी खुश हैं उन्हें लगता है कि कमलनाथ के प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद उनका टिकट लगभग तय है लेकिन एक बात यह भी है कि सुलोचना रावत कमलनाथ कैंप की वाया सज्जन सिंह वर्मा मानी जाती थी लेकिन अब सज्जनसिंह खुद कमलनाथ कैंप से दूर है और इलाका भूरियाजी के संसदीय इलाके का है लिहाजा बिना भूरिया कुछ नहीं होगा और अभी से उनके नाम का विरोध भी शुरु हो गया है दीपक कपूर-जीतु पटवारी को जिस तरह घेरा गया उससे लगता है कि इतना आसान भी नहीं होगा। रावत परिवार के लिए टिकट लाना ऊपर से कलावती भूरिया ने अभी इंकार नहीं किया है कि वह जोबट से नहीं लड़ेगी!

 

अल्लाह मेहरबान तो गधा भी पहलवान-

यह एक कहावत है कि जिसकी किस्मत अच्छी हो तो नाकाबिल इंसान भी ऐसी जगह पा जाता है जिसके वह योग्य ना हो। अब जोबट नगर पंचायत को ही ले तो नगर परिषद् जोबट एक बार फिर से बीजेपी के दीपक के परिवार की झोली मे आ गई है। यह वहीं दीपक है जिसकी जमानत जब्त हो जाती अगर कांग्रेस किसी और को उम्मीदवार बनाती। कांग्रेस ने एक ऐसे परिवार को टिकट दीपक के परिवार के विरुद्ध दे दिया जिस पर आरोप था कि एक विवाद में पथराव के बाद उन्होंने दर्जनों लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी जिनमें से कई लोग घटना में शामिल नहीं थे फिर क्या था वोटों का धु्रवीकरण हो गया और दीपक के परिवार में नगर परिषद् फिर आ गयी ण्ण् यह अपने मे पहला उदाहरण था जब लोग मन मे जिस शख्स को कोस रहे थे उसे ही वोट करने को मजबूर हुए, लेकिन बीजेपी को जनभावनाएं समझनी चाहिए थी सिर्फ सत्ता हासिल कर लेना ही राजनीति का अंतिम लक्ष्य नहीं होना चाहिए। परिणाम आज ही जोबट की जनता झेल रही है।

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