सुबह उठकर माता-पिता को झुककर वंदन अवश्य करें : समणी निर्माण प्रज्ञाजी

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झाबुआ लाइव से  दीपेश प्रजापति

अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के आह्वान पर तेरापंथ युवक परिषद झाबुआ ने समणी निर्वाण प्रज्ञा जी तथा समणी मध्य प्रज्ञा जी के सानिध्य में रविवार को लक्ष्मी बाई मार्ग स्थित स्थानीय तेरापंथ सभा भवन पर मंत्र दीक्षा संग वितराग पद कार्यशाला का आयोजन किया गया। 

 

कार्यशाला के माध्यम से समणी निर्देशिका ने आमजनों से आह्वान किया है कि सुबह उठकर घर में बड़े सभी को झुककर प्रणाम अवश्य करें..। जानकारी देते हुए तेयुप झाबुआ के अध्यक्ष प्रमोद कोठारी ने बताया कि अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के आह्वान पर मंत्र दीक्षा संग वीतराग पथ कार्यशाला एक साथ एक दिन व एक समय पर पूरे भारत व नेपाल में शाखा परिषदों के माध्यम 17 जुलाई रविवार को  आयोजित की गई । जिसका उद्देश्य जनमानस व बच्चों में आध्यात्मिक कोष में वृद्धि तथा युवा शक्ति संघ संपदा बढाने में योगभूत बने । इसी कड़ी में 17 जुलाई रविवार को सभा भवन पर उक्त कार्यशाला का आयोजन समणी वृंद के सानिध्य में किया गया । सर्वप्रथम तेयुप अध्यक्ष प्रमोद कोठारी ने गीत …सर पर हमेशा तेरा हाथ रहे बाबा…का संगान किया । समणी  मध्यस्थ प्रज्ञा जी ने नमस्कार महामंत्र के उच्चारण के साथ जाप प्रारंभ किया व उपस्थित जन समुदाय ने भी महामंत्र का जाप किया । पश्चात मंगल भावना का उच्चारण किया तथा श्वास प्रेक्षा का प्रयोग भी किया । समणी मध्यस्थ प्रज्ञा ने सभा  संबोधित करते हुए कहा साधु वह बन सकता है जो 22 परिषहो को सहन करने की क्षमता रखता हो । श्रावक में अनंत परिषह होते हैं। हमें हमेशा छल ,कपट , माया से दूर रहना चाहिए । जिसमें सरलता नहीं , संयम नहीं तो साधुत्व भी प्रश्नचिन्ह हो जाता है प्रयास करें कि माया के साथ-साथ झूठ से भी हमेशा दूरी बनाकर रखें । हमे हमेशा गुरु और साधु के प्रति ईमानदार रहना चाहिए । इसके बाद समणी निर्माण प्रज्ञा जी ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा .. आज के आधुनिक परिवेश में बच्चों व युवकों मे संस्कारों की कमी आ गई है वर्तमान भौतिकवादी युग में सुबह बच्चे उठकर मोबाइल व टीवी के दर्शन करते हैं इसी आधुनिकता से बच्चों में संस्कारों की कमी बढ़ती जा रही है । वास्तविकता में इसके लिए माता-पिता दोषी हैं । माता-पिता को  बच्चों को संस्कारित बनाने हेतु बचपन से ही संस्कार दिए जाएं , तो बच्चे जरूर विनित व विवेकशील बनेंगे । अगर आरंभ से बौद्धिक ज्ञान के साथ व्यवहारिक ज्ञान दिया जाए , तो परिणाम अच्छे आएंगे । उन्होंने यह भी बताया कि बच्चों को यह सिखाया जाए कि सुबह उठकर घर में माता-पिता व घर के सभी बड़े लोगों को झुककर प्रणाम या वंदन अवश्य करें । निश्चित ही आशीर्वाद का हाथ जो आपके सिर पर आएगा । वह आशीर्वाद के हाथ को ऐसा नहीं समझे क्योंकि वह आशीर्वाद के हाथ से जो ऊर्जा निकलती है वह आपकी हर कठिनाई को दूर करती है । हम आर्थिक व  शारीरिक स्वच्छता के लिए इधर-उधर नहीं भटके , हमारे अपने मंत्र- जाप ,गुरुवरो का जाप आदि से परेशानियां दूर हो सकती है बशर्त है कि आप जो भी क्रिया करें एकाग्रता व श्रद्धा से करें । बच्चों में बचपन से ही .कैसे बैठना , कैसे चलना , क्या बोलना , कब बोलना,  बड़ों के साथ कैसा व्यवहार होना चाहिए आधी आधी बातें सिखाना माता पिता का कर्तव्य है। आज घरों में बिखराव का बड़ा कारण विनयशीलता ,विवेक शीलता, सहनशीलता की घोर कमी है । झुकने से बड़ी से बड़ी बीमारी का निदान होता हैं ।आपके द्वारा की गई बड़ी से बडी गलती को माफ कर दिया जाएगा । मात्र सुनने से कुछ नहीं होगा जब तक आचरण में  नही आयेगा , बदलाव नहीं होगा । इसलिए आचरण में लाने का प्रयास करे । समणी वृंद ने  उपस्थित बच्चों को मोबाइल, टीवी देखते हुए , खाना ना खाने की समझाइश दी । साथ ही साथ रोज सुबह उठकर घर में सभी बड़ों को प्रणाम करने की बात भी बताई तथा किसी भी प्रकार का नशीले पदार्थ के सेवन न करने के त्याग भी करवाएं । अंत मे समणी वृंद ने मांगलिक भी सुनाई ।

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