सहायक आयुक्त पद को लेकर अलीराजपुर जिले के दोनों विधायकों मे मतभेद की खबरें

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चंद्रभान सिंह भदोरिया @ चीफ एडिटर

अलीराजपुर जिले के आदिवासी विकास विभाग का प्रभारी सहायक आयुक्त कोन हो इसको लेकर अलीराजपुर जिले के दोनों भाजपा विधायकों मे मतभेद उभरने की खबरें है । सुत्रों के अनुसार मामले मे विवाद बढता देख अब गेंद प्रभारी मंत्री बालकृष्ण पाटीदार के पाले मे चली गयी है । मामले मे कलेक्टर ओर बीजेपी जिलाध्यक्ष असहाय नजर आ रहे है । गोरतलब है कि अलीराजपुर के प्रभारी सहायक आयुक्त सतीश सिंह को अचानक कलेक्टर गणेश शंकर मिश्र ने हटाकर सव॔ शिक्षा अभियान का डीपीसी बना दिया गया था ओर प्रभारी डीपीसी नवीन श्रीवास्तव को प्रभारी सहायक आयुक्त बनाया गया था । इस परिवर्तन के साथ जिले के राजनीतिक ओर प्रशाशनिक गलियारे मे कई तरह की चर्चाओ का दोर शुरु हो गया था अलीराजपुर लाइव ने जब इस मामले की विस्तृत पड़ताल की तो मामला चोंकाने वाला है सुत्र बताते है कि अलीराजपुर विधायक ” अचानक ” से सतीशसिंह से नाराज हो गये थे जिसकी वजह एक कारोबारी है जिसका नाम M से शुरु होता है उसने सहायक आयुक्त द्वारा काम नहीं देने की शिकायत की थी जबकि आजकल ” जैम पोट॔ल ” मे पंजीयन के द्वारा ही काम लिया जा सकता है संबंधित कारोबारी द्वारा जैम पोट॔ल मे पंजीयन नहीं किया गया ओर काम की अपेक्षा की गयी । खैर सतीश सिंह को तत्काल हटा दिया गया ओर तत्काल नवीन श्रीवास्तव को सहायक आयुक्त का चाज॔ दिया गया। बताते है कि सतीश सिंह जोबट विधायक माधोसिंह के बेहद अजीज है ओर उस पर तुक्का यह कि जिन नवीन श्रीवास्तव की 4 महीने पहले माधोसिंह ने कलेक्टर से शिकायत की थी उन्हे ही सहायक आयुक्त बना दिया गया। इससे बताते है माधोसिंह डावर बिफरे हुए है । माधोसिंह की नाराजगी इस बात को लेकर भी है कि उन्हे बताकर यह फैसला नहीं लिया गया जबकि वह भी निर्वाचित विधायक है ; खैर अब मामला यह है कि अलीराजपुर विधायक शायद यह चाहते है कि सतीश सिंह सहायक आयुक्त नहीं होना ओर माधोसिंह यह चाहते है कि भले सतीश सिंह सहायक आयुक्त नहीं हो लेकिन नवीन श्रीवास्तव उन्हे सहायक आयुक्त के रुप मे मंजूर नहीं, ऐसे मे बताते है कलेक्टर भी परेशान है लेकिन खामोश है क्योकि यह सब कुछ राजनीति या चुने हुए प्रतिनिधियों के नाम पर होता है। इधर खबर है कि बीजेपी जिलाध्यक्ष राकेश अग्रवाल भी धम॔ संकट मे बताऐ जाते है । इसी बीच मामला शायद प्रभारी मंत्री के दरबार मे पहुंच गया है अब संभव है कि वह यहाँ आकर या दुरभाष से संवाद के जरिए मामले का कोई हल निकाले, लेकिन इस घटनाक्रम ने यह साबित तो किया है कि सहायक आयुक्त के पद का कितना महत्व है । हम यह भी क्लीयर करना चाहते है कि संभव है सहायक आयुक्त पद को लेकर मजबुरीवश तंत्र या जनप्रतिनिधि इस खबर को खारिज करें लेकिन खबर 100% पक्की है इस मामले मे हमने अलीराजपुर के दोनों विधायकों से संवाद का प्रयास किया लेकिन नहीं हो पाया। आगे हम दोनों विधायकों का वीडियो बयान सुनवाने का प्रयास करेंगें।

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