सरकार का यह तुगलकी आदेश किसानो को ” सुसाइड ” के लिए प्रेरित कर सकता है

0

दिनेश वर्मा की EXCLUSIVE पड़ताल

” मध्यप्रदेश सरकार ” के सहकारिता विभाग का 11 अगस्त 2016 को जारी हुआ ओर अब जाकर सार्वजनिक किया गया एक आदेश किसानो के गले की हड्डी बन गया है किसान इसे ” सरकार” की ओर से उन्हें सुसाइड करने की प्रेरणा ” देने वाला ” डेथ वारंट” मान रहे है ओर सरकार की कोसकर चेतावनी दे रहे है कि अगर किसानों ने इस आदेश के चलते अगर सुसाइड करना शुरु कर दिया तो जिम्मेदारी सरकार की होगी ।

यह है सरकार का तुगलकी आदेश
=====================
दरअसल “मध्यप्रदेश सरकार ” के सहकारिता विभाग के उपसचिव ” प्रकाश खरे” ने 11 अगस्त 2016 को एक आदेश जारी करते हुए भारत सरकार के दिशा निर्देशों का हवाला देकर जो श्रृण वसूली 28 मार्च तक की जानी थी उसे वसूल करने की तारीख घटाकर 28 मार्च की जगह 28 फरवरी कर दी गयीं थी । यह पत्र जारी तो 11 अगस्त को हुआ था मगर उस समय सार्वजनिक करने से बवाल मच सकता था इसलिए सार्वजनिक नहीं किया गया ओर फिर नोटबंदी का एलान कर दिया गया इस वजह से फिर इस आदेश को जिम्मेदारों ने फिर दबा दिया । अब जाकर इस आदेश को निकाला गया ओर किसानों को कहा जा रहा है कि वे 28 फरवरी तक हर हाल मे अपना बकाया जमा करवा दे वरना उन पर तगडा ब्याज लग सकता है ।

यह कहना है किसानों का —
================
इस पूरे मामला पर ” किसानों ” की अपनी पीडा है किसानों का तर्क है कि सरकार जानती है कि ” नोटबंदी ” से हम किसान पहले ही परेशान रहे ओर हमारी खरीब की फसलों के साथ साथ उनकी सब्जीयों तक के दाम उन्हें नहीं मिल पाये ओर उनको घाटा हो गया ओर अब तारीख बढाने के बजाय घटाई जा रही है । खरडूबडी के किसान मुन्ना कहते है कि ” नोटबंदी ” ऐसे समय की गयी जब हमारी फसल की बोवनी का समय था ओर जब फसल कटाई का समय आ रहा है तो यह तुगलकी आदेश आ गया है मुन्ना कहते है कि किसानों का तो मरण ही है सरकार ओर नेताओं को किसानों के नाम पर सिफ॔ वोट चाहिए हकीकत मे कोई सहयोग की भावना नहीं है । इसी तरह एक अन्य किसान ” हीरालाल ” कहते है कि हम सीएम शिवराज सिंह जी से मांग करते है कि वे समय अवधि बढाकर फिर से 28 मार्च करें वरना हम तो मरने की मजबूर हो जायेंगे । क्योकि हमारी फसल तो खेत मे खडी है 28 फरवरी तक फसल कट नही पायेगी तो हम जमा करवायेंगे कहां से ? ।

सहकारी बैंकों का अपना तक॔
===================
इस पूरे मामले मे जिला सहकारी बैंक का अपना तर्क है जिला सहकारी बैंक झाबुआ + अलीराजपुर के वरिष्ठ महाप्रबंधक ” पी एन यादव” कहते है कि शाशन का आदेश है हम मानने के लिए बाध्य है । यादव कहते है कि हमने खरीब की फसल के लिए झाबुआ & अलीराजपुर जिले के 68 हजार 890 किसानों को कुल 324 करोड़ रुपये का कर्ज 0% पर बाटा था ओर उसे चुकाने के लिए 28 मार्च की तारीख तय की थी जो शाशन ने घटाकर 28 फरवरी कर दी है । अब 28 फरवरी के बाद अगर किसान जमा करवायेंगे तो उन्हे दो श्रेणीयो की पेनाल्टी चुकानी पड सकती है पहले चरण मे उन्हें 3% पेनाल्टी चुकानी होगी ओर एक निर्धारित सीमा के बाद 11% + 3% = 14% चुकानी होगी ।

मामले पर ” राजनीति ” भी हुई शुरु
=====================
बात अगर किसानों की हो ओर राजनीति ना हो यह संभव नहीं है तभी तो शिवराज सरकार के इस तुगलकी आदेश से कांग्रेस को हमलावर बनने का एक मोका दे दिया है कांग्रेस सांसद ओर पूर्व केंद्रीय मंत्री ” कांतिलाल भूरिया ” ने सरकार पर बड़ा हमला करते हुए कहा कि यह फरमान साबित करता है कि शिवराज सरकार जो खेती की लाभ का धंधा बनाने का दावा करती है वह सिफ॔ बातें है हकीकत मे ऐसे आदेश निकालकर ओर वसूली दल भेजकर किसानो को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का वातावरण बना रही है भूरिया ने आरोप लगाया कि नोटबंदी मे किसान परेशान हुआ है ओर अब 28 मार्च की बजाय 28 फरवरी को श्रृण चुकाने की अवधि घटाकर किसानों को तनाव मे डाल दिया है । भूरिया ने कहा कि सरकार ने अगर यह तुगलकी आदेश वापिस नहीं लिया तो कांग्रेस सड़क पर उतरकर जन आदोंलन करेंगी ।

Leave A Reply

Your email address will not be published.