सरकारी अनाज परिवहन के मामले में कांग्रेस ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्रकर पूछे 7 सवाल

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इरशाद खान, बरझर

जिला कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष महेश पटेल ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है हाल कुछ दिनों पुर्व जागरूक नागरीको की सूचना पर राजस्व व पुलिस विभाग द्वारा आंबुआ में सरकारी अनाज से भरे दो ट्रको को पकडा गया था व राजस्व विभाग द्वारा कार्यवाही करते हुए ट्रक जब्त कर सरकारी गोदामों की जांच की । जांच के बाद कुल 6 लोगों पर एफआईआर की गई । लेकिन पूरे मामले में कई मुख्य दोषियों को बचाया जा रहा है । शिवराजसिंह जनता उक्त सवालो के जबाव मांग रही है । जवाब दीजिए या दोषियों पर कार्यवाही कीजिए। आपकी सरकार में गरीबो के अनाज डकारने वालो के साथ आप भी बराबर हिस्सेदार है ? अगर नही तो कार्यवाही करे नही तो अपने पद से इस्तीफा देवे । गरीबों को दिया जाने वाले इस अनाज की कालाबाजारी घाटाले में कई बिंदु ऐसे है जो पुरी कार्यवाही पर सवालीया निशान उठा रहे है जो निम्नानुसार है । 

01 विभाग का कहना ट्रक में मौजुद माल सरकारी है वही जांच में बहेडवा व जोबट गोदाम का स्टाक बराबर होना बताया गया तो अब प्रश्न यह है की ट्रको में मौजुद सरकारी अनाज आया कहा से और विभाग बता क्यो नही रहा है ?

02 जोबट व बेहडवा के गोदाम का स्टॉक अगर बराबर है तो फिर विभागीय शासकीय कर्मचारीयों पर एफ0आई0आर0 क्यो की गई ? उक्त कार्यवाही भी सवालो के घेरो में है । 

03 कालाबाजारी के लिये ले जा रहे अनाज के ट्रकों के परिवहन में अधिकृत परिवहन ठेकेदार के संबंध न होने से क्यो नकारा जा रहा है ?

04 अधिकृत परिवहन ठेकेदार के वाहन का कार्यक्षेत्र गोदाम से उचित मुल्य की दुकान तक सीमित होता है ऐसे में कालाबाजारी के लिये कौन बेवकुफ ठेकेदार उसी अधिकृत वाहन में अनाज ले जायेगा । उसके लिये तो किसी दुसरे ट्रक का ही उपयोग करना पडेगा । इस बात को न मानते हुए अधिकृत वाहन न होने की बात कहकर क्यो ठेकेदार को बचाने का कार्य किया जा रहा है ।

05 नियमानुसार सरकारी गोदाम में अनाधिकृत वाहन में माल नही भरा जाये ये जिम्मेदारी ठेकेदार की होती है और बीना उसकी सहमती के यह संभव भी नही फिर ठेकेदार को क्यो बचाया जा रहा है वही गोदाम के चोकीदार से लेकर उससे जुडे हर कर्मचारीयों की गतीविधीयों की जिम्मेदारी भी नियमानुसार गोदाम संचालक की होती है ।

06 जब ट्रक ड्रायवर ने खुद बेहडवा से माल भरने की बात कही तो फिर जांच में स्टॉक सही कैसे हो सकता है ? क्या जांच दल भी मुख्य दोषीयों को बचाने में लगा है ?

07 पुरे मामले में अभी तक उच्च स्तरिय जांच ऐजेन्सी को नियुक्त क्यो नही किया जा रहा है ?

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