पियुष चन्देल, अलीराजपुर
भोलेनाथ के भक्त यूं तो साल भर कांवड़ चढ़ाते रहते हैं, लेकिन सावन में इसकी धूम कुछ ज्यादा ही रहती है, क्योंकि यह महीना है, भगवान शिव को समर्पित और अब तो कांवड़ सावन महीने की पहचान बन चुका है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं, कि शिव जी को सबसे पहले कांवड़ किसने चढ़ाया और इसकी शुरुआत कैसे हुई।कुछ कथाओं के अनुसार भगवान परशुराम ने अपने आराध्य देव शिव के नियमित पूजन के लिए पूरा महादेव में मंदिर की स्थापना की और कांवड़ में गंगाजल लाकर पूजन किया। वहीं से कांवड़ यात्रा की शुरूआत हुई जो आज भी देश भर में प्रचलित है। ऐसा भी माना जाता है, कि भगवान श्री राम पहले कांवड़िया थे। कहते हैं, श्री राम ने झारखंड के सुल्तानगंज से कांवड़ में गंगाजल लाकर बाबाधाम के शिवलिंग का जलाभिषेक किया था। वैसे तो कांवड़ शब्द के कई मायने हैं। एक अर्थ यह भी है- क यानी ब्रह्म (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) और जो उनमें रमन करे वह कांवड़िया जो नियमों का सम्यक पान करके अपने आपको इन देवों की शक्तियों से संपूरित कर दे। इसी उत्साह को लेकर अलीराजपुर में श्री वीर बजरंगी सांई सेवा दल द्वारा कावड़ यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। कांवड़ यात्रा का यह 13 वां वर्ष है। गरुडेश्वर से कांवड़ यात्रा का यह 6 वां वर्ष हैं। जिसमें भगवान शिव के भक्तों द्वारा गरुडेश्वर से अलीराजपुर सावन के अंतिम सोमवार को जल भरकर भगवान महादेव का जलाभिषेक किया जाएगा। यात्रा के सदस्यों ने अनुरोध किया है, कि इस आनंदमई कांवड़ यात्रा में आकर शिव भक्ति का आनंद लेवे।उक्त कावड़ यात्रा 8 अगस्त को अलिराजपुर से गरुडेश्वर धाम कांवड में जल भरने के लिए प्रस्थान करेगी एवं गरुडेश्वर से 12 अगस्त को अलीराजपुर आएगी।
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