श्रीमद भागवत कथा-रामकथा में रामलीला में जुटे हजार धर्मावलंबी

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बृजेश खंडेलवाल की रिपोर्ट-
रामलीला का भरपूर आनंद ले रहे आम्बुआ के ग्रामवासी
धर्म प्रचारक मंडल काशी-बनारस विध्यांचल ग्राम के ब्राह्मणों के द्वारा 18 से 23 जनवरी तक एक सप्ताह श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा रस यज्ञ एवं रामकथा पर रामलीला का आयोजन स्थानीय शंकरगढ़ के प्रांगण मे किया जा रहा है, जिसमे शुक्रवार की शाम को पंडित कृष्णकुमार पांडेय महाराज द्वारा विश्वामित्र-राम और लक्ष्मण की गुरू शिक्षा की प्राप्ति का वर्णन करते हुए बताते कहा कि रामजी का मोल अगर पूछना हो तो भरत से पूछो, कौशल्या माता से पूछो, राम पुरूष नहीं महापुरूष थे। विश्वामित्र ने कहा कि राम-लक्ष्मण चलो में तुम्हें जनकपुरी में धनुष यज्ञ है वहां लिया चलता हूं। जनकपुरी जाते समय रास्ते में बहुत वीरान और सन्नाटा छाया हुआ था उसी के मध्य एक पत्थर की शीला में सुन्दर तुलसी का पौधा लगा देख राम ने विश्वामित्र से पूछा है गुरूवर ये शीला पर तुलसी का पौधा लगा है ये क्या है? विश्वामित्र बोले है राम ये बहुत ही सुन्दर स्त्री अहिल्या है। इसकी सुन्दरता को देख इन्द्र का मन विचलित हो गया। और वह उससे क्रोधित पत्थर की शीला के रूप मे परिवृतित हो गई। राम अब तुम इस शीला को अपने चरण से स्पर्श करो तब जाकर इसे मौछ मिलेगा और चरण स्पर्श करते ही सुन्दरी अहिल्या मोक्ष को प्राप्त हो गई। ये सभी रामलीला के माध्यम से नाटक के रूप से इसका विस्तृत विवरण बताया गया। विश्वामित्र के साथ राम, लक्ष्मण जनकपुरी पहुंचे जहां पर जनकपुरी के राजा जनक स्वयं स्वागत करने पहुंचे और सम्मान पूर्वक उस स्थान पर ले गए, जहां पर भगवान शिव का धनुष को जो तोड़ेगा उसका सीता का स्वयंवर उसके साथ कर दिया जोगा।इस रामायण कथा का विवरण में सभी योद्धाओं को आमंत्रित किया गया, जिसमे रावण अपने अहंकार मुद्रा में दिखाई दे रहा है। आम्बुआ सहित आसपास के ग्रामीण इस रामलीला का आन्नद ले रहे है। ये 18 से 23 जनवरी तक निरंतर चलेगी।

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