शिवगंगा की हलमा व पर्यावरण संवर्धन की देशी परंपरा माता वन से गांवों में लहलहाने लगे जंगल

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राज सरतलिया, पारा
शिवगंगा झाबुआ अचंल कि हलमा कि परंपरा का लगातार उपयोग कर पर्यवरण के संरक्षण व संर्वधन मे अहम भुमीका निभा रहा हे। इस परंपरा को अब झाबुआ मुख्यालय से ग्रामीण अंचल कि ओर रुख करके गांव गांव मे कट चुके जगंल पुनः जीवित करने का कार्य किया जा रहा हे।     शिवगंगा झाबुआ की प्रेरणा से अंचल की परमार्थी परम्परा हलमा करके गांव वालों ने कर दिया अद्भुत कार्य पर्यावरण संरक्षण की पहल से गांव गांव हो रहे हैं जंगल। ग्राम ऊकाला में शिवगंगा की प्रेरणा से यहां के ग्रामवासी युवा युवतियों ने मिलकर अपने माता वन के संरक्षण का संकल्प लिया पिछले डेढ़ साल से यह लोग पौधे फलदार वृक्ष और अलग-अलग वृक्ष बांस, सागोन, सीताफल,आम,नींबू,अमरूद,पत्थरचट्टा, गलवेल,पीपल, बिलिपत्र, खाकरा,खेरिया, करंज,निम,इमली, अलग-अलग प्रकार के पौधे 1200 सो से ज्यादा लगाएं और उनका संरक्षण कर रहे हैं ।

 इसी क्रम मे आज ऊकाला, लिमखोदरा, गुलाबपुरा,बड़कुई, घाव लिया,सजवानी,मोहनपुरा आदि गांवो मे हलमा कर के ग्रामवासीयो ने पौधों की क्यारियों की सफाई कर, पानी दिया, घास काटी ऐसे ही शिवगंगा की प्रेरणा से अनेकों गांव में गांववासी स्वयं जागकर पर्यावरण संरक्षण को लेकर अपने अपने स्तर गांव में माता वन जंगल खड़े कर रहे हैं । गांव वासियो द्वारा किए शिवगंगा कि प्रेरणा व स्व प्रेरणा से आज क्षेत्र के ग्रामाीण अंचल मे माता वन जंगल से पुनः छोटी बडी पहाडीया लह लहाने लगी हे। उक्त कार्य मे कृष्णा निनामा किशेर मावी वालसि मावी रमेश डामाकर कमेश डामोर अमन वाखला शेकर भाभर, रामसिह मेडा जेसे कई लोग इस पुनित कार्य मे तनमन से लगे हे। उक्त जानकारी राजाराम कटारा व राजेन्द्र डिडोड ने दी।

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