शासकीय महाविद्यालय में शिक्षकों का सम्मान एवं विदाई समारोह

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रितेश गुप्ता, थांदला

 किसी भी व्यक्ति, समाज व देश के विकास में शिक्षा का स्थान सर्वोपरि है। शिक्षक को भविष्य निर्माता कहा जाता है। शिक्षक आजीवन सीखने,सीखाने का कार्य करते है, इसलिये उनका सम्मान सर्वोपरि है। भारतीय संस्कृति की इसी परपंरा के अनुरूप शासकीय महाविद्यालय थांदला में पूर्व प्राचार्य डॉ. जया पाठक एवं डॉ. पी.के. संघवी को शॉल, माला एवं श्रीफल से सम्मानित किया।

इसी के साथ महाविद्यालय परिवार ने अग्रणी महाविद्यालय झाबुआ के पूर्व प्राचार्य डॉ.एच.एल. अनिजवाल के सात वर्षीय कार्यकाल के पश्चात् उज्जैन स्थानांतरण होने पर एवं अग्रणी महाविद्यालय झाबुआ की वरिष्ठ विदूषी एवं कर्मठ प्राध्यापक डॉ. गीता दूबे की 43 वर्ष के सेवाकाल के पश्चात् सेवानिवृŸिा पर तथा डॉ. किशोर तेम्मुर्णे अतिथि सहा.प्राध्यापक समाजशास्त्र, का शॉल, माला एवं श्रीफल भेंट कर भावभीनी विदाई दी गई।
इस कार्यक्रम में आमंत्रित विशेष अतिथिगण, जिनमें आदर्श महाविद्यालय झाबुआ के प्राचार्य डॉ. एस.सी. जैन, शासकीय महाविद्यालय मेघनगर के प्राचार्य डॉ. राकेश वर्मा, शासकीय महाविद्यालय पेटलावद प्राचार्य, डॉ. कान्तु डामोर सहित सभी प्राध्यापकों का तिलक माला से स्वागत व सम्मान किया गया।

उक्त कार्यक्रम की अध्यक्ष्ता कर रहे शासकीय महाविद्यालय थांदला के प्राचार्य डॉ. जी.सी. मेहता ने सम्मानित अतिथियों का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनके व्यक्तिव व कार्य शैली का उल्लेख करते हुए कहा कि यह हमारे महाविद्यालय का सौभाग्य है कि एक साथ जिले के लगभग सभी महाविद्यालय के संस्था प्रमुख का आतिथ्य करने का अवसर मिला।

डॉ. अनिजवाल ने डॉ.जी.सी. मेहता के प्रयास की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होनें सभी मोतियों को एक सूत्र में बांधने का कार्य किया है साथ ही उन्होनें अपने कार्यकाल के अनुभव भी साझा किए।

डॉ. गीता दुबे ने अपने 43 वर्ष के लग्बे सेवाकाल में अनेक उल्लेखनीय कार्य किये है। राष्ट्रीय सेवा योजना की जिला संचालक रही है। अग्रणी महाविद्यालय झाबुआ की प्राचार्य भी रही है, वे झाबुआ जिले से आत्मीय रूप से जुडी होने के कारण विदाई समारोह के भावुक हो गई। इसी कडी में डॉ. जया पाठक एवं डॉ. पी.के. संघवी ने शिक्षण व अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि शिक्षक पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है उन्हें अपने विद्यार्थियों को सर्वागीण विकास के लिए सत्त प्रयत्नशील होना चाहिए।

इस कार्यक्रम में वरिष्ठ सहा. प्राध्यापक डॉ. पीटर डोडियार, प्रो. एस.एस. मुवेल, डॉ. मीना मावी, प्रो. एच. डुडवे, प्रो. मनोहर सोलंकी,  करण सिंह बामनिया, दिनेश मोरिया, प्रो. दीपमाल मंसारे, प्रो. कंचना बारस्कर, प्रो. हिमांशु मालवीया, प्रो. हर्षवर्धन राठौर, प्रो. छत्तरसिंह चौहान,  विजय सिंह मावडा,  दलसिह मोरी, फतिया खपेड़,  रमेश डामोर,  विक्रम डामर सहित समस्त स्टाफ उपस्थित रहा। कार्यक्रम का संचालन क्रीड़ा अधिकारी डॉ. शुभदा भौसले एवं आभार डॉ. बी.एल. डावर में माना।

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