शबेकद्र पर रातभर चला इबादत का दौर, अलविदा माहे रमजान की मस्जिदों में रही गूंज

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हरीश राठौड़, पेटलावद
अल्लाह ने शबे कद्र की रात को हजार महीनो की रातों से बेहतर करार दिया हैं। यह रात इबादत में अपना अलग ही मुकाम रखती हैं। अल्लाह ने 23 साल की मुद्दत से इस रात में कुरआन को हमारे आका (स.व.) की बारगाह में नाजील फरमाया। इस रात में अल्लाह हमारी जायज दुआओं नेक मकसद में कामयाबी देता है। शराबी, माता-पिता का फरमान नहीं मानने वाले, रिश्तों को खत्म करने वाले, लोगों से जलन करने वालों को अल्लाह माफ नहीं करता।
यह बाते शहर के ईमाम अब्दुल खालिक साहब ने कही। आप मंगलवार रात साढ़े 10 बजे शबे कद्र की रात जामा मस्जिद में समाजजनो के बीच तकरीर में बोल रहे थे।
आपने कहा लयलतुलकद्र की रात की निशानियों में यह है कि चरिन्द-परिन्द सभी खामोश रहते हैं। एक अजीब तरह का सुकून फिजा में महसूस किया जाता है।
रात में मसजिदो में हुए कई आयोजन:
समाज ने पवित्र माह रमजान मुबारक में आने वाली शबे कद्र की रात इबादत में गुजारी। इस अवसर पर मस्जिद की सजावट की गई। शहर की दोनो मस्जिदों में रात में समाज के लोगो ने अल्लाह की इबादत की। मुस्लिम समाज के बुजुर्गो से लेकर बच्चे भी बड़ी संख्या में यहां नमाज अदा करने पहुचेे।
ईशा की नमाज के बाद तरावीह (कुरआन की तिलावत) पढ़ी गई। उसके बाद मस्जिद में शहर ईमाम इस रात महत्व के बारे में समाज के लोगो को बताया। पुरूषो के साथ महिलाएं और बालिकाओ ने भी इस रात को घर पर जागकर खुदा की ईबादत कर दुआएं मांगी।
आख़िर में मुल्क व मिल्लत की सलामती एवं देश में आपसी भाईचारे और एकता की दुआ के साथ प्रोग्राम पूरा हुआ। इस दौरान शहर के सभी रोजेदार व आम लोग शामिल हुए। वहीं दोनो मस्जिदो में स्वल्पहार के बाद सामूहिक सहरी का आयोजन कर रोजेदारो को सहरी करवाई गई।

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