वॉट्सएप पर गलत संदेश से हाट बाजार पहुंचे व्यापारी, निराश लौटे

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

 कोरोना महामारी के कारण 24 मार्च के बाद से साप्ताहिक हाट बाजार बंद रहने के कारण छोटे बड़े सभी व्यवसाई परेशान है। हालांकि अब क्षेत्र में साप्ताहिक हाट बाजार को छोड़कर बाकी दिनों बाजार खुल रहे हैं ।मगर साप्ताहिक हाट बाजार की बात ही कुछ निराली होती है। ग्रामीण भले ही सप्ताह के 6 दिन हाट बाजार आते रहे । मगर साप्ताहिक हाट बाजार को जरूर आएंगे यही कारण है कि साप्ताहिक हाट बाजार प्रारंभ होने का इंतजार ग्राहक तथा बाहरी व्यापारियों को बना हुआ है । वे दिन प्रतिदिन समाचार तथा अन्य माध्यमों से जानकारी लेते रहे हैं ऐसी एक जानकारी जैसे ही व्हाट्सएप पर आई की साप्ताहिक हाट बाजार के दिन दुकान खोली जा सकेगी । इस संदेश को सही तरीके से ना समझ पाने के कारण आम्बुआ में आज मंगलवार को साप्ताहिक लग गया मगर ग्राहकों को यह पता नहीं था वह आज बंद है। इस कारण नहीं आए और बाहरी व्यापारी निराश लौट कर चले गए।

कभी-कभी कोई सूचना संदेश का सही उद्देश्य, अर्थ, मतलब, आदि का सटीक अर्थ पता ना लगने या ना लगाया जाए तो अर्थ का अनर्थ होना लाजमी हो जाता है। ऐसा ही वाकया 15 जून को आम्बुआ क्षेत्र में हुआ एक संदेश व्हाट्सएप पर प्रसारित किया गया आम्बुआ में मंगलवार साप्ताहिक हाट बाजार के दिन व्यापारी अपनी दुकानें खोल सकेंगे (इसके पूर्व मंगलवार को लॉक डाउन की स्थिति रहती आ रही थी) जिसने यह संदेश पढ़ा अपनी-अपनी बुद्धि अनुसार अर्थ निकाला गया। अधिकांश ने साप्ताहिक हाट बाजार चालू हो जाने का अर्थ निकाल कर अपने अपने परिचितों को मोबाइल पर सूचना भी दे दी कि वे दुकान लेकर आ जाए हालांकि संदेश स्थानीय व्यापारियों के लिए था कि वे अपनी दुकानें है जो कि मंगलवार को बंद रखते थे वे खोल सकते हैं एक सामाजिक दूरी तथा सुरक्षा का पालन करना होगा। संदेश का गलत अर्थ के कारण कई बाहरी व्यापारी जिनमें कपड़ा, मसाला, सब्जी, कटलरी आदि शामिल है आ गए तथा दुकानें भी लगा ली तब स्थानीय व्यापारियों ने इसका विरोध किया तथा प्रसारित संदेश की वास्तविकता पता चली। इधर ग्रामीण ग्राहक जिन्हें यह संदेश पता था कि मंगलवार हाट बाजार नहीं लगेगा बाजार में ही नहीं आए। लिहाजा बाहरी व्यापारी कुछ घंटों बाद दुकानें समेट कर निराश होकर लौट गए उन्हें बता दिया गया कि वे केवल स्थानीय व्यापारी दुकान खोलेंगे बाहरी नहीं आए आम्बुआ में आज दिनभर यह चर्चा जोरों पर रही कि संदेश का गलत अर्थ निकालने का क्या नतीजा होता है।

 

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