वैज्ञानिको ने बना डाला ” कडकनाथ” मुर्गे का नया विकल्प

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अलीराजपुर live के लिऐ ” फिरोज खान ” बबलू” की Exclusive रिपोर्ट ।

Narmada-Nidhi

मध्यप्रदेश के एक पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय ने मुर्गी की एक नई नस्ल विकसित की है जो रोग प्रतिरोधक और सस्ती भी है।

नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर के प्रफ़ेसर ओपी श्रीवास्तव ने बताया कि विश्वविद्यालय में विकसित की गई मुर्गी की इस नई नस्ल को ‘नर्मदा निधि’ नाम दिया गया है। उन्होंने बताया कि इस नई नस्ल को कडकनाथ और जबलपुर कलर नामक मुर्गी की नस्लों के जीन्स के मिश्रण से तैयार किया गया है। इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन उपलब्ध है। कडकनाथ मुर्गी की एक देशी नस्ल है जो मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल इलाके झाबुआ और अलीराजपुर में पाई जाती है, जबकि जबलपुर कलर नामक नस्ल को इसी विश्वविद्यालय में विकसित किया गया।

श्रीवास्तव ने नर्मदा निधि नस्ल के बारे में बताया कि यह सस्ती होने के साथ-साथ पौष्टिक तत्वों से भरपूर है। इसे ग्रामीण क्षेत्रों के निचले तबके के लोगों को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है। उन्होंने बताया कि नई नस्ल की मुर्गी ग्रामीणों के घरेलू वातावरण में जीवित रह सकती है। यह रोग प्रतिरोधक भी है तथा रोगों से बचाव के लिए इसे टीके लगाने की भी आवश्यकता नहीं पडती है, जैसी कि पोल्ट्री फार्म की विदेशी मुर्गी में पड़ती है। इसलिए इसे पालना अधिक सस्ता है।

श्रीवास्तव ने बताया कि ग्रामीण इलाकों के घरों में पाली जाने वाली देशी मुर्गी 45 अंडे प्रतिवर्ष देती है जबकि नर्मदा निधि 181 अंडे प्रतिवर्ष देती है। इसके अंडे का स्वाद देशी अंडे के समान ही है। अपने स्वाद के कारण देशी अंडे को बाजार में अच्छी कीमत मिलती है।

उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मुर्गी की नई नस्ल ग्रामीणों के बीच काफी लोकप्रिय होगी क्योंकि इसकी देखभाल और पालन बहुत ही सस्ता है। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही एक कार्यक्रम आयोजित कर 35 आदिवासी परिवारों को नई नस्ल नर्मदा निधि की 35 मुर्गियां सौंपी जाएंगी।

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