विश्व पृथ्वी दिवस पर लिया धरा को हरा भरा रखने का संकल्प

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 उदयगढ से कमलेश जयंत की रिपोर्ट

 रविवार को स्थानीय पंचवन पहाडी पर विश्व पृथ्वी दिवस मनाया गया। पहाडी पर बिते वर्ष रोंपे गए पांच हजार पौधों की सिंचाई करने के साथ ही बच्चों ने ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को जाना, समझा और धरा को हरा भरा बनाने का संकल्प लिया। कन्या शिक्षा परिसर की 40 बालिकाओं के साथ उदयगढ़ के बच्चे कार्यक्रम के सहभागी बने। शिक्षक राजू कनेस ने बच्चों को बताया कि हर साल पूरे विश्व में 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। इस दिन की स्थापना अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन ने 1970 में पर्यावरण शिक्षा के रूप में की थी। नेल्सन इतने दूरदर्शी थे कि उन्होने उस समय पृथ्वी को संरक्षित करने की बात कही थी जब ना तो ग्लोबल वार्मिंग के खतरे थे और न ही प्रदूषण की समस्या इतनी विस्फोटक हुई थी। उन्होने कहा कि अमेरिका पृथ्वी दिवस को वृक्ष दिवस के रूप में मनाता है, जिसका मकसद धरा को हरा-भरा रखने से है। 

धरती को प्रदूषण मुक्त रखना है 

भाजपा मंडल अध्यक्ष राजू मुवेल ने बताया कि पृथ्वी दिवस का मकसद आम इंसान को यह समझाना है कि वो पॉलिथीन और कागज का इस्तेमाल ना करे, पौधे लगाये, धरती को प्रदूषण से बचाए, क्योंकि धरा है तो जीवन है। 

पर्यावरण की चिंता नहीं की तो प्रथ्वी से जीवन हो जाएगा समाप्त

पत्रकार राजेश जयंत ने ‘इंटर गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज’ (आइपीसीसी) के अध्ययन की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि पृथ्वी के औसत तापमान में हो रही वृद्धि जलवायु और मौसम प्रणाली में विनाशकारी बदलाव ला सकती है। जलवायु और मौसम में बदलाव के सबूत मिलने शुरू हो चुके हैं। पिछले 50 वर्षों की वार्मिंग प्रवृत्ति लगभग दोगुना है।  पिछले 100 वर्षों के मुकाबले समुद्र का तापमान 3000 मीटर की गहराई तक बढ़ चुका है। भूमध्य और दक्षिण अफ्रीका में सूखे की समस्या बढ़ती जा रही है। अंटार्टिका में बर्फ जमे हुए क्षेत्र में 7 प्रतिशत की कमी हुई है। उत्तरी अमेरिका, उत्तरी यूरोप और उत्तरी एशिया के कुछ हिस्सों में बारिश ज्यादा हो रही है। पश्चिमी हवाएं बहुत मजबूत हो रही हैं। सूखे की रफ्तार तेज होती जा रही है। यदि हमने अब भी पर्यावरण की चिंता नहीं की तो प्रथ्वी से जीवन के विलुप्त होने में अधिक समय नहीं लगेगा। 

 

 

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