भूपेंद्र बरमंडलिया, मेघनगर
मेघनगर ब्लाक के ग्राम नानिया साथ का मामला सामने आया है, जहां शासकीय प्राथमिक विद्यालय ग्राम नानिया साथ में बच्चों को स्कूली गणवेश वितरण किया गया। मगर बच्चों ने इस स्कूली ड्रेस को लेने से इनकार कर दिया। इस मामले की जानकारी जब मीडिया को लगी तो मीडियाकर्मी मौके पर पहुंचे तो सारी हकीकत सामने आई। बच्चो का कहना है कि पूर्व में हमारे खाते में स्कूली ड्रेस के लिए राशि 400 रुपये आई थी तो हमने फूल पेंट ओर शर्ट खरीदी थी लेकिन अबकि बार 600 रुपए निर्धारित किये है, तो हम हाफ पेंट क्यों पहने वही स्कूली बालिकाओं ने भी इस बात का विरोध किया। स्कूली ड्रेस के बारे में बात की जाए तो उक्त ड्रेस देखने से ही पता चल जाता है कि एक या दो बार मे ही इसकी सिलाई खुल जाएगी। ड्रेस में सिंगल बड़ी सिलाई लगी हुई है जिससे देख कर ही अंदाजा लगाया जा सकता है की ये ड्रेस महिला समूह द्वारा सिली गई नहीं है ऐसा लगता है की यह स्कुल की ड्रेस ठेकेदार द्वारा समूह को रेडिमेंट सप्लाई कर समूह द्वारा रेडिमेंट ड्रेस स्कुलो में दी जा रही है। स्कूल के बच्चो को ये ड्रेस छोटी बड़ी पड़ रही है।
दूसरी बात अगर समूह की करे तो समूह की महिलाओं को कच्चा कपड़ा ठेकेदार से खरीद कर समूह की महिलाओं द्वारा बच्चों के नाप लेकर कपड़ों को सिलना था। मगर यहां न तो स्कूली बच्चों का नाप लिया गया। बस रेडिमेड कपड़े सप्लायर से क्रय कर स्कूली छात्र छात्राओं को वितरित कर दिए गए। इस मामले में समूह की अध्यक्ष से कपड़ा सिलने के सेंटर की जानकारी चाही तो वह टाल मटोल करती नजर आइ, चौराहे पर जन चर्चा में यह बात आ रही है। ठेकेदार द्वारा समूहो के साथ साथ गार्ड कर स्कुलो में रेडिमेंड ड्रेस सप्लाय की जा रही है। लगता है की कही न कही एनआरएलएम के समूह तथा ठेकेदार की मिलीभगत तो नही है। इस बारे मे जब कलेक्टर प्रबल सिपाहा को उनके मोबाइल पर इस मामले की सूचना दी गई तो उन्होने इस मामले की डिटेल भेजने को कहा ए वही स्कूली बच्चो ने जमकर नारेबाजी की। इस मामले मे जब संबन्धित अधिकारी से चर्चा की गई तो इस मामले मे एक दूसरे के ऊपर पल्ला झाड़ते नजर आए इनका कहना है। वहीं नाम न छापने की शर्त पर ग्रामीण महिला कहती है कि गए साल हमारे द्वारा बच्चो को जो राशि 400 रूपये आई थी तो हमने पेंट शर्ट दिलवाए थे। अबकी बार 600 रूपये है तो हाफ पेंट दी जा रही है वह भी सही नही है।
पिछले वर्ष हमारे खाते मे राशि आई थी तो हमने सलवार सूट वाली ड्रेस खरीदी थी और अबकी बार ६०० रूपये मे जो ड्रेस लेगी बांटी जा रही है वह अच्छी नहीं है ! – निर्मला डामोर स्कूली छात्रा
इस मामले मे झाबुआ के आजीविका मिशन के जिला अधिकारी विशाल राय से चर्चा की गई तो उन्होने भी डिटेल भेजने की बात कही।
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