गरीब किसान का बेटा बना असिस्टेंट प्रोफेसर, गांव पहुंचने पर ग्राम वासियों एवं ईस्ट मित्रों ने किया स्वागत

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अजय मोदी @ वालपुर 

कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं होता,एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो’ इसी कहावत को चरितार्थ किया आदिवासी अंचल के एक किसान पुत्र ने। हम बात कर रहे है ग्राम थोड़सिंधी के गरीब किसान श्री गोपाल वास्केला एवं श्रीमति गूली वास्केला के पुत्र नानसिंह वास्केला का जिनका असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में चयन हुआ।

ग्रामीण क्षेत्रों में भी प्रतिभा कूट-कूट कर भरी होती है, सीमित संसाधनों में भी किस तरह पढ़कर आगे बढ़ा जा सकता है, यह साबित किया नानसिंह वास्केला ने। सिविल इंजीनियरिंग करने के पश्चात नानसिह का चयन पटवारी के रूप में हुआ। डेढ़ वर्ष तक नौकरी करने के पश्चात सिविल सेवा की तैयारी हेतु पद से इस्तीफा दिया।

 

अपनी प्राथमिक शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल एवं हायर सेकेंडरी झाबुआ के उत्कृष्ट विद्यालय से की तथा सिविल इंजीनियरिंग होलकर कॉलेज इंदौर से किया। तत्पश्चात अर्थशास्त्र से एम.ए.किया।

नानसिंह के पिता खेती किसानी का कार्य करते हैं एवं माता ग्रहणी एवं खेती के कार्य में पिता की मदद करती है। नानसिंह वास्केला के असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर चयनित होने के बाद अपने गृह ग्राम आने पर ग्राम वासियों,ईस्ट मित्रों एवं सरपंच प्रतिनिधि संदीप गिलदार वास्कले द्वारा उनका एवं उनके माता-पिता का फुलहर पहनकर स्वागत किया। इस अवसर पर गांव के पटेल गिलदार पटेल, सिकदर वास्केला, राजू , अरमसिंह, भरत चमेलका, रामसिंह, वेरसिंह, प्रियंका वास्केला आदि उपस्थित थे।

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