वल्ड रिकॉर्ड बनाने के नाम पर ‘धूल में लट्ठ’ चला रही भाजपा सरकार : सुलोचना रावत

0

अलीराजपुर लाइव के लिए आम्बुआ से बृजेश खंडेलवाल की रिपोर्ट-
मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार पौधारोपण के नाम पर घोटाले करने का नया तरीका चला रही है। प्रदेश सरकार द्वारा 2 जुलाई को प्रदेशभर में 6 करोड़ पौधे लगाने का महाअभियान चला गया है जो महाघोटाला अभियान मालूम होता है वल्ड ऑफ गिनीज रिकार्ड बनाने के नाम पर सरकार द्वारा ढकोसला किया जा रहा है। आमजन की समझ से परे दिखाई पड़ता है। वही रिकार्ड बनाने के लिए करोड़ों खर्च किया जा रहा है लेकिन किसानों के कर्ज मे राहत के लिए करोड़ों खर्च किया जाता तो गरीब किसानों के आत्महत्या के रिकार्ड को रोका जा सकता था। वल्ड गिनीज बुक मे यदि घोटाले और भ्रष्टाचार का महाअभियान कहा जाए, तो कोई गलत बात नही होगी। यह आरोप पूर्व कांग्रेस विधायक व वर्तमान मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी की उपाध्यक्ष सुलोचना रावत ने लगाया है। रावत का कहना है कि सबसे पहले तो इसके लिये सरकार ने जो दिन तय किया था वह रविवार का था जिससे सरकारी कर्मचारियों की साप्ताहिक छुट्टी का नुकसान भी हुआ है। वल्ड रिकार्ड बनाने के झूठे दावे को महज दस्तावेजी अमलीजामा पहनाये जाने के लिए इसमे पूरी तरह से सरकारी कर्मचारियों का और संसाधनों का उपयोग किया है जो पूरी तरह से गलत है। इतनी बड़ी संख्या मे सरकारी कर्मचारियों को लगाकर और इतने बड़े पैमाने पर सरकारी पैसा लगाकर तो इससे कई गुना बड़ा वल्र्ड रिकार्ड कायम किया जा सकता है। कई सरकार के इस झुठे वादे की पोल न खुल जाये इसलिए जनता को इससे लगभग पूरी तरह से दूर रखा गया और सरकारी कर्मचारियों और भाजपा के कार्यकर्ता को इसमे तैनात किया गया। रावत ने आरोप लगाया है कि सरकार के इस महा घोटाला अभियान मे जो पौधे लगाये है उनकी खरीदी सरकारी नर्सरियों से क्रय किये जाने थे, जबकि ऐसा नहीं किया गया, जो क्रय किए है उनमें गुणवत्ता नही है और सरकार के ही निर्दोशो मे दिए गए मापदंडों के विपरीत है। सरकारी नर्सरियों से पौधा खरीदी का मतलब साफ तौर से मालूम हो तो है कि सरकारी नर्सरियों में जो पौधे आते है उन्हें सरकार ओर सत्ता के चहेते सप्लायरों से खरीदा जाता है। इस से साफ है कि इस अभियान को तथाकथित महाघोटाला अभियान कहा जाना कोई अतिश्योक्ति नही होगी। यह भी गौर करने की बात है की इस पौधारोपण मे जो पौधे की व्यवस्था की जा रही थी। वह मनरेगा के माध्यम से की गई थी। मनरेगा जो की रोजगारमूलक योजना है। उसके बजट को सरकार द्वारा अपने इस महा घोटाला अभियान में लगाया गया है जिससे मनरेगा मे रोजगार पाने वाले कई परिवार को रोजगार से वंचित भी होना पड सकता है। यदि मनरेगा के इस पैसे को पौधारोपण की जगह ग्राम विकास के कार्यों पर खर्च किया जाता तो ईससे कई गांवों की तस्वीर बदल सकती थी और स्थानीय ग्रामीणों को इससे रोजगार भी मिलता, लेकिन इस तरह फिजूल खर्च होने और गांवों में काम नहीं मिल पाने से आदिवासी क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को रोजगार के लिए अन्य राज्यों मे पलायन करना पड़ता है। पौधारोपण के इस महाअभियान को घोटाले और भ्रष्टाचार का महाअभियान इससे भी मना जा सकता है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.