वन विभाग की दोहरी नीति पर आदिवासी समुदाय में आक्रोश, सोंडवा में फूटा गुस्सा

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सोंडवा/आलीराजपुर। जिले में वन विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर एक बार फिर विवाद गहराता जा रहा है। विभाग द्वारा नर्मदा नदी के किनारे 5-5 किलोमीटर की परिधि तक अतिक्रमण मुक्त कराने के आदेश जारी किए गए हैं, जिससे क्षेत्र के आदिवासी समाज में तीव्र असंतोष फैल गया है।

वन मंडल अधिकारी ने भोपाल के पत्र क्रमांक FOR/0667/2025/10-3 दिनांक 21/08/2025 तथा इंदौर के पत्र क्रमांक तकनीकी/25/5505 दिनांक 26/08/2025 का हवाला देते हुए यह कार्रवाई प्रस्तावित की है। इन पत्रों की प्रतिलिपि कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक को भी प्रेषित की गई है।

मामले ने तब तूल पकड़ा जब विभाग ने अगले ही दिन प्रेस नोट जारी कर कहा कि “ऐसी खबरें भ्रामक हैं।” इस पर आदिवासी नेताओं ने इसे जनता को गुमराह करने और सच्चाई छिपाने की कोशिश बताया है।

आदिवासी विकास परिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष महेश पटेल ने वन विभाग की प्रक्रिया को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी।उन्होंने कहा वन विभाग की दोहरी नीति उजागर हो चुकी है। एक ओर पत्र जारी कर आदिवासियों को उजाड़ने की तैयारी की जाती है, दूसरी ओर मीडिया में सफाई दी जाती है। क्या मुख्यमंत्री की संभावित अलीराजपुर यात्रा के कारण यह भ्रामक बयान जारी किया गया ताकि विरोध को दबाया जा सके?”

महेश पटेल ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि भोपाल और अलीराजपुर से जारी दोनों पत्रों को तत्काल निरस्त नहीं किया गया, तो आदिवासी समाज जल, जंगल और ज़मीन की रक्षा के लिए सड़कों पर उतरेगा, और इसकी पूर्ण ज़िम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।

इसी मुद्दे पर आदिवासी विकास परिषद के नेतृत्व में सोंडवा में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीण, कार्यकर्ता और सामाजिक प्रतिनिधि शामिल हुए। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि 15 नवम्बर (बिरसा मुंडा जयंती) के अवसर पर सोंडवा पंचायत ग्राउंड में बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि अर्पित कर वन विभाग के आदेशों के खिलाफ़ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।

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