आलीराजपुर | पुलिस अधीक्षक अलीराजपुर राजेश व्यास की अध्यक्षता में 28 मई 2025 को पुलिस नियंत्रण कक्ष, अलीराजपुर में अनुभाग अलीराजपुर के थाना प्रभारियों की अपराध समीक्षा बैठक आयोजित की गई।
इस बैठक का मुख्य उद्देश्य लंबित प्रकरणों के निराकरण में आ रही समस्याओं की समीक्षा करना, माइक्रो बीट सिस्टम एवं ई-साक्ष्य एप के प्रभावी संचालन का आकलन करना और अपराध नियंत्रण को लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करना था। इस बैठक में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रदीप पटेल, उप पुलिस अधीक्षक महिला सुरक्षा एवं प्रभारी अअपु अलीराजपुर बी0एल0अटौदे, अनुविभागीय अधिकारी पुलिस (एसडीओपी) जोबट नीरज नामदेव सहित जिले के समस्त थानाप्रभारीगण उपस्थित रहे। पुलिस अधीक्षक अलीराजपुर राजेश व्यास के द्वारा बैठक के प्रांरभ में बेहतर पुलिसिंग की दिशा मे सकारात्मक कार्य करने संबंधी फीडबैक राजपत्रित अधिकारियों से लिया गया, ताकि आमजन और पुलिस के बेहतर संबंध स्थापित किये जा सके।
बैठक के प्रमुख बिंदु और निर्देश
- लंबित प्रकरणों की समीक्षा एवं त्वरित निराकरण- बैठक के दौरान पुलिस अधीक्षक श्री राजेश व्यास ने सभी थाना प्रभारियों को निर्देशित किया कि वर्ष 2025 से पूर्व के सभी लंबित अपराध, चालान एवं मर्ग के मामलों का जल्द से जल्द निराकरण सुनिश्चित करें। यदि किसी प्रकरण के निराकरण में कोई व्यावहारिक कठिनाई आ रही हो, तो संबंधित अअपु को अवगत कराते हुए त्वरित समाधान निकाले जाने के प्रयास किये जाए।
- निगरानी बदमाशों की सूची अपडेट करने के निर्देश- पुलिस अधीक्षक ने निर्देश दिए कि सक्रिय गुंडे एवं निगरानी बदमाशों की सूची को नियमित रूप से अपडेट किया जाए ताकि अपराध नियंत्रण की रणनीति को और अधिक प्रभावी बनाया जा सके। साथ ही, उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि ऐसे अपराधी जिनके खिलाफ पूर्व में दो या अधिक अपराध दर्ज हो चुके हैं और जो वर्तमान में भी आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त हैं, उनके विरुद्ध प्रभावी नियंत्रण के लिए प्रतिबंधात्मक धाराओं में अंतिम बाउंड ओवर कराया जाए।
- वारंट तामिली की समीक्षा- बैठक में वारंट तामिली की स्थिति की समीक्षा की गई और सभी थाना प्रभारियों को निर्देशित किया गया कि लंबित वारंटों की शीघ्र तामिली कराई जाए, जिससे न्यायिक प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके।
- ई-साक्ष्य एप के प्रभावी क्रियान्वयन पर जोर- बैठक में ई-साक्ष्य एप के माध्यम से जप्ती और गिरफ्तारी की कार्यवाही को अद्यतन करने की प्रक्रिया पर चर्चा की गई। पुलिस अधीक्षक ने सभी थाना प्रभारियों को निर्देश दिया कि इस एप का अधिकतम उपयोग किया जाए ताकि केस डायरी, डिजिटल साक्ष्य और अन्य आवश्यक रिकॉर्ड को प्रभावी रूप से संधारित किया जा सके।
5.माइक्रो बीट सिस्टम-पुलिस अधीक्षक अलीराजपुर के द्वारा माइक्रो बीट सिस्टम की थानावार समीक्षा की गई थाना प्रभारियों के द्वारा माइक्रो बीट सिस्टम की प्रस्तुत जानकारी के सत्यापन हेतु बैठक कक्ष से ही चार अलग-अलग थानों के माइक्रो बीट प्रभारियों को मोबाईल से चर्चा कर उनके बीट के संबंध मे जानकारी ली गई। चारो थानों के कर्मचारियों के द्वारा उनकी बीट के संबंध सटीक जानकारी पुलिस अधीक्षक को दी गई तथा उनके बीट में संचालित गतिविधि से भी पुलिस अधीक्षक को अवगत कराया। बीट की सही जानकारी देने पर प्रआर शंकर चौहान, प्रआर हीरालाल डोडवा, आर सूरत एवं महिला आर ललिता को इनके उत्साहवर्धन एवं प्रौत्साहन हेतु नगद ईनाम से पुरस्कृत करने के आदेश पुलिस अधीक्षक के द्वारा दिये गये।
साथही आयोजित अपराध समीक्षा बैठक मे सीसीटीएनएस (CCTNS) प्रणाली के अंतर्गत “इंटर-ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (ICJS) पोर्टल के संबंध में भी समीक्षा की गई-
- Police to Court (e-Signed Chargesheet):चार्जशीट को डिजिटल रूप से तैयार कर न्यायालय को ई-साइन के माध्यम से भेजे जानें के संबंध में भी चर्चा की गई, जिससे समयबद्धता, प्रामाणिकता और कागज रहित प्रक्रिया सुनिश्चित हो।
- MedLeaPR (MLC रिपोर्ट का डिजिटल एकीकरण):CCTNS पोर्टल से MLC अनुरोध भेजने एवं चिकित्सा संस्थानों से MLC रिपोर्ट डिजिटल माध्यम से प्राप्त करनें के संबंध में भी चर्चा की गई। जो अभी वर्तमान में नहीं मिल पा रही हैं। यदि चिकित्सा संस्थानों के द्वारा MLC रिपोर्ट डिजिटल माध्यम से भेजी जायेगी तो इससे भी प्रकरण में त्वरित निराकरण सुनिश्चित होगा।
- E-Prosecution Portal: चार्जशीट एवं विधिक राय अब ई-पोर्टल के माध्यम से भेजनें हेतु पुलिस विभाग के द्वारा अधिक से अधिक विवेचकों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है, जिसका विवेचक उपयोग करें, ताकि फिजिकल दस्तावेजों की निर्भरता कम की जा सके।
पुलिस अधीक्षक अलीराजपुर राजेश व्यास ने बताया कि अपराध समीक्षा बैठक मे लंबित प्रकरणों के त्वरित निराकरण की दिशा मे कार्यवाही किये जानें के उदेश्य से अपराध समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया था, ताकि प्रकरण विशेष मे आ रही कठिनाईयों को दूर कर लंबित प्रकरण का निराकरण किया जा सकें। साथही वर्तमान में तकनीकी संसाधनों का कैसे बेहतर उपयोग कर समय एवं संसाधनों के अपव्यय को कम किये जानें पर भी जोर दिया गया।