रेल बजट मे आदिवासी अंचल की उपेक्षा , दो परियोजनाओं के लिऐ महज 300 करोड

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झाबुआ / अलीराजपुर live डेस्क की स्पेशल रिपोर्ट ।

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आखिरकार रेल बजट 2016 भी आदिवासी अंचल झाबुआ ओर अलीराजपुर को ठेंगा बता गया । सुरेश प्रभू ने 200 किमी की दूरी वाली दाहोद – इंदौर रेलवे लाइन के लिऐ महज 100 करोड का आवंटन किया है वही छोटा उदयपुर – धार रेल्वे परियोजना के लिए 200 करोड रुपये आवंटित किये है यह परियोजना 157 किमी लंबी है । गौरतलब है कि 8 फरवरी 2008 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने रेलमंत्री लालू यादव के साथ मिलकर इस परियोजना का शिलान्यास करते हुऐ आश्वासन दिया था कि 2011 मे रेल दौडने मे लगेगी । लेकिन हर साल बजट आवंटन मे कमी ओर भूमि अधिग्रहण मे लापरवाही के चलते परियोजना लंबित होती गयी ओर 678 करोड की यह परियोजना अब 1950 करोड के आसपास पहुंच गई है ।

क्या यह भेदभाव है या लापरवाही

जितना बजट आज के रेल बजट मे आवंटित किया गया है उससे कुछ सवाल जरुर खडे होते है मसलन इंदौर सांसद सुमित्रा महाजन जो लोकसभा स्पीकर है ओर मूलत महाराष्ट्र की है उनकी मांग पर प्रथम बार मे ही ” इंदौर – मनमाड ” रेलवे लाइन जो 368 करोड की है उसके लिऐ 4984 करोड चालू वित्तीय वर्ष मे जारी हो गये है इसी तरह इंदौर – देवास की लाइन जो कि 80 किमी है उसके लिऐ चालु वित्तीय वर्ष में 271 करोड रुपये आवंटित हुऐ है जबकि आदिवासी अंचल की इन दोनो परियोजनाओ के लिऐ बजट आपके सामने है । आज रेलमंत्री सुरेश प्रभू ” से लोकसभा मे सासंद कांतिलाल भूरिया ने बहस की कि आखिर इतना कम बजट क्यो आवंटित किया है ओर यह भेदभाव क्यो किया है आदिवासी इलाकों के साथ ?

प्रशासन – जनप्रतिनिधी है असली जिम्मेदार —

आखिर दाहोद – इंदौर एंव छोटा उदयपुर – धार परियोजनाओ मे काम बजट क्यो दिया जा रहा है इस पर जब live टीम ने रेल्वे विशेषज्ञों से बात की तो यह बात निकलकर सामने आई कि इतनी कम राशि के आवंटन के लिए रेल्वे नही बल्कि झाबुआ / धार / अलीराजपुर जिले का राजस्व महकमा दोषी है जो समय पर रेल्वे लाइन के लिऐ जमीन अधिग्रहण नही करवा पा रहा है झाबुआ के राजस्व महकमे का आलम यह है कि रेल्वे ने 7 करोड 16 लाख रुपये जमीन अधिग्रहण कर मुआवजे के लिए 31 मार्च को खत्म हो रहे वित्तीय वर्ष मे वितरण के लिए दिये थे मगर झाबुआ कलेक्टर अभी तक नोटिफिकेशन ही नही करवा पायी नतीजा 31 मार्च आते ही उक्त राशि सहज ही लैप्स हो जायेगी । सच्चाई यही है कि जमीन अधिग्रहण कार्य मे प्रशासनिक अधिकारीयो की लापरवाही ओर उस पर जनप्रतिनिधियो की अरुचि रेल्वे को कम बजट आवंटन को मजबूर कर रही है ।

यह बोले मामले से जुडे लोग

कांतिलाल भूरिया — ” मोदी जी झाबुआ मे वादा कर गये थे कि वे जल्दी रेल चलायेंगे फिर इतना कम आवंटन क्यो ? आदिवासी अंचल के साथ भेदभाव है रेलमंत्री से लोकसभा मे सवाल जवाब किया था अब आंदोलन करना पडेगा ।

 दौलत भावसार- इससे पहले कभी इन दोनो रेल्वे परियोजनाओ के लिऐ यूपीए सरकार ने इतना बजट नही दिया है पहली बार ठीक आवंटन हुआ है कांग्रेस को तो बोलने के पहले अपने समय के आंकडे देखने चाहिऐ ।

दिलीप सिंह वर्मा ( महामंत्री रेलवे लाओ महासमिति ) —  यह छलावा है कोई सांसद गंभीर नही है ओर ना ही प्रशासन क्योकि जमीन अधिग्रहण कार्य की उपेक्षा हो रही है जो राशि आवंटित हुई है वह भी जहां काम चल रहा है उस इलाके मे जायेगी आदिवासी अंचल मे काम के लिए तो एक रुपया भी नही है ।

 

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