@चंद्रभानसिंह भदोरिया @ चीफ एडिटर
तो क्या ” निर्मला भूरिया” झाबुआ भेजी जायेंगी ?
बीजेपी मे इन दिनो चर्चा है अबकी बार 200 पार ओर इसके लिऐ पार्टी अभी से जी जान से जुटी है पेटलावद विधानसभा सीट को लेकर बीजेपी के भीतर चर्चाऐ चल रही है ( झाबुआ लाइव इसकी पुष्टि नही करता ) कि बीजेपी निर्मला भूरिया को झाबुआ विधानसभा सीट से चुनाव लडवाने का मन रहा है ओर पेटलावद से जी एस डामोर के नाम की जोर शोर से चर्चाऐ है लेकिन हमारे सूत्र यह भी बता रहे है कि खुद निर्मला भूरिया ने झाबुआ से लड़ने से इंकार कर दिया है खबर तो यहा तक है कि अगर उन्हे बीजेपी ने पेटलावद से चुनाव नही लडवाया तो वे कही से भी चुनाव नही लडेगी । अब देखना है ऊंट किस करवट बैठता है ।
दिल के अरमां आसुंओ मे बह गये
बीजेपी के बारे मे कहा जाता है कि बीजेपी एक ऐसी पार्टी है जहा मांगने पर कुछ नही मिलता ओर पार्टी को जो देना होता है खुद आगे आकर दे देती है अब देखिए अपने सेठिया जी को जिलाध्यक्ष बने चार महीने से ज्यादा समय हो गये उनके समथ॔को ने सोचा था कि अब तो “भिया”बन गये है अपन भी कार्यकारिणी मे कुछ ना कुछ तो बन ही जायेगे किसी की लार महामंत्री के लिऐ टपक री थी तो किसी को उपाध्यक्ष बनना था खैर सेठिया जी ने तो पूरा जोर लगाया कि अपनी टीम बना सके लेकिन बताते है संभागीय संगठन मंत्री जयपालसिंह चावडा सेठियाजी द्वारा दी गयी सुची पर कुंडली मारकर बैठ गये है । ऐसे मे कई लोग अब यही फिल्मी गाना गाने को मजबूर है ” दिल के अरमां आसुंओ मे बह गये” ।
अब थादंला मे बीजेपी के सिद्धांत की अग्नि परीक्षा
बीजेपी सबसे बडी अनुशासित पार्टी है
यहा पार्टी के खिलाफ जाने वाले का बुरा हाल होता है
बीजेपी कैडर ओर मोरल वाली पार्टी है
बीजेपी यानि पार्टी विथ डिफ्रेंस
यह चार सिद्धांत बीजेपी के अक्सर आपने सुने होगे लेकिन यह सिद्धांत थादंला विधानसभा मे बीजेपी के जुमले साबित हो जाते है सभी जानते है कलसिंह भाबर ने कैसै विगत विधानसभा चुनाव मे बीजेपी की धज्जियां उडा दी ; अनुशाशन को तार तार कर दिया .. 6 साल के बीजेपी ने कलसिंह को निकाला । लेकिन कलसिंह के जीतते ही उसे गले लगा लिया ओर अब बीजेपी कलसिह को फिर से टिकट देने की तैयारी मे बताई जाती है ..सवाल यह उठता है कि ऐसा कर बीजेपी अपने आम कार्यकर्ताओ को क्या संदेश देना चाहती है ? क्या यह कि आप कितना भी पार्टी के सिद्धांतो की धज्जियां उडाओ सब माफ है तो बाकी लोग भी कलसिंह के रास्ते क्यो ना चले ?
इधर दिग्विजय ” अपनी तैयारी मे जुटे”
दिग्विजय सिंह मोदी के एजेंट है यह 10 साल से मै कहता रहा हूं झाबुआ आकर दिग्विजय एक बार अपने बयानों से यह साबित भी कर गये ..एक बार फिर संघी आतंकवाद ओर शिवराज पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर दिग्विजय एक तीर से दो शिकार कर गये एक तो मामला शिवराज बनाम दिग्विजय बनाने की कोशिश की ओर दूसरा बीजेपी की मदद भी कर गये ; जय हो ऐसे कम॔वीरो की ।
गरीब आदिवासी का घर नही मिला दिग्विजय को
दिग्विजय सिंह अपने दो दिवसीय झाबुआ दोरै के समापन संध्या पर भोजन करने एक ऐसे शख्स के आलीशान बंगले पहुंच गये जो कांग्रेस का ईमानदारी से कुछ भी नही है वह बीजेपी ओर कांग्रेस सभी से हाथ मिलाकर धंधा करता है खैर व्यापारी के लिए यह बुरी बात भी नही है लेकिन बेहतर होता अगर दिग्विजय सिंह किसी साधारण कार्यकर्ता के यहा भोजन करते या आदिवासी की झोपड़ी मे खाना खाते। लेकिन नेताओ को ऐसे लोग भी जरुरी होते है तो चले गये सेठ के यहा लेकिन अगर दिग्विजय सिंह इस अनाज व्यापारी को यह सलाह दे जाते तो गरीबों के हित मे अच्छा ही होगा कि वह अपने अनाज ढोने वाले ट्रकों पर ” GPS ” लगाकर पारदर्शी बने ।।