मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ
होलिका दहन के बाद रंग पंचमी एक प्रमुख समय होता है जब जमकर रंग खेला जाता है । धुलेंडी पर रंग खेलने की परंपरा बंद होती जा रही है। आम्बुआ में एक समय ऐसा भी था जब रंगों का यह त्यौहार चार दिनों तक जमता था । इस बार रंग पंचमी का आयोजन युवाओं के हाथ में था। इस कारण खाने-पीने से लेकर रंगारंग गेर का आयोजन बहुत ही अच्छी तरह से किया गया। जैसा की विदित है कि होलिका दहन के बाद धुलेंडी तथा पंचमी के रंग खेला जाता है । आम्बुआ में पूर्व में धुलेंडी पर कस्बे के नागरिक तथा दूसरे दिवस पुलिस विभाग द्वारा रंगारंग आयोजन के बाद रंग पंचमी तथा सप्तमी को भी रंग खेला जाता था। मगर समय तथा महंगाई एवं सामाजिक कार्यों के कारण अब यहां रंग पंचमी ही खेली जाती है आज 14 मार्च को कस्बे के युवाओं की पहल पर रंगारंग आयोजन किया गया। ढोल तथा डीजे पर रंगारंग गेर निकाली जा कर युवाओं की टोलियां ने कस्बे को रंगबिरंगा कर दिया लोगों ने गुलाल लगाकर एक दूसरे को बधाई दी। इस आयोजन में महिला वर्ग भी पीछे नहीं रही तथा ढोल की थाप पर नाचते गाते कस्बे में रंगों की बारिश की युवाओं द्वारा सुबह का नाश्ता एवं शाम के भोजन की व्यवस्था कूपन से की गई जिसमें लोगों ने कूपन खरीद कर श्रद्धानिधि देकर भोजन किया संपूर्ण कार्यक्रम आपसी भाईचारे के साथ शांतिपूर्वक संपन्न हुआ पुलिस की व्यवस्था भी रही।
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