झाबुआ लाइव ” political ” डेस्क
बिहार चुनाव में दो मोर्चों पर जंग लड़ी गई। नरेंद्र मोदी और नीतीश-लालू के बीच की पहली जंग के बारे में सब लोग जानते हैं, लेकिन एक और युद्ध बीजेपी प्रेसिडेंट अमित शाह और मोदी के पूर्व रणनीतिकार प्रशांत किशोर के बीच चल रहा था। किशोर ने इसी साल नीतीश कुमार को महागठबंधन के मेन रणनीतिकार के तौर पर जॉइन किया था। महागठबंधन की शानदार जीत किशोर के लिए बड़ी सफलता है। खासतौर पर इसलिए क्योंकि उन्होंने अमित शाह को हर मोर्चे पर मात दी है। इसके साथ ही वह शायद देश के पहले पॉलिटिकल कंसल्टेंट भी बन गए हैं। नीतीश महागठबंधन की जीत में किशोर की भूमिका को किस तरह देखते हैं, इसका संकेत उन्होंने उन्हें रविवार को गले लगाकर दिया।
पिछले लोकसभा चुनाव में किशोर मोदी के साथ जुड़े हुए थे। किशोर और उनकी टीम को लोकसभा चुनाव के बाद लगा था कि मोदी को केंद्र की सत्ता दिलाने में उनका बड़ा रोल रहा है। उनका मानना था कि सोशल मीडिया के जरिये बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंचने, मोदी को ‘डिवेलपमेंट का मसीहा’ बनाकर पेश करने, चाय पर चर्चा और 3डी होलोग्राम जैसे प्रोग्राम के जरिये उन्होंने तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री की अपील जनता के बीच बढ़ाई थी। हालांकि, बीजेपी में कई लोगों की राय कुछ और ही थी। सूत्रों ने बताया कि शाह और पार्टी के दूसरे सीनियर नेताओं का मानना था कि बीजेपी और उसके कार्यकर्ताओं की मेहनत के चलते मोदी को जीत मिली और किशोर की टीम की उसमें मामूली भूमिका थी।
लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद बीजेपी की इलेक्शन स्ट्रैटिजी में किशोर अपना प्रभाव गंवा चुके थे। अमित शाह के एक करीबी सूत्र ने बताया कि किशोर लोकसभा चुनाव के आखिरी दौर में शाह से मिले थे और उनसे पूछा था कि उन लोगों का जून के बाद क्या होगा? शाह ने तब किशोर से कहा था कि ‘जून के बाद जुलाई आता है।’ उन्होंने सरकार की पॉलिसी मेकिंग में किशोर को किसी भूमिका का आश्वासन नहीं दिया था। उनसे सिर्फ इतना कहा गया था कि आपने और आपकी टीम ने जो काम किया है, उसके लिए भुगतान किया जाएगा।
हालांकि, किशोर के करीबी लोग इसे गलत बताते हैं। इनमें से एक ने कहा, ‘प्रशांत की सीधे प्रधानमंत्री तक पहुंच थी, फिर वे किसी चीज के लिए शाह से बात क्यों करेंगे?’ सच जो भी हो, शाह के साथ अच्छे रिश्ते नहीं होने के चलते किशोर को बीजेपी से अलग होना पड़ा। उसके बाद कई महीनों तक किशोर खाली रहे। उन्होंने पहले कुछ कांग्रेस नेताओं से संपर्क साधा और उसके बाद अक्टूबर-नवंबर 2014 में वह लेखक, पूर्व राजनयिक और जेडीयू सांसद पवन वर्मा के जरिये नीतीश कुमार से मिले।
दोनों के बीच कई दौर की मीटिंग हुई और अंत में नीतीश और किशोर आखिरी बातचीत के लिए बैठे। किशोर ने काम करने के लिए दो शर्तें रखीं। पहली, वह बिहार कैंपेन के लिए तभी काम करेंगे, जब नीतीश तक उनकी सीधी पहुंच हो और दूसरी, जीतन राम मांझी को बिहार के मुख्यमंत्री पद से हटाया जाए। इसके कुछ ही समय बाद नीतीश मांझी को मुख्यमंत्री पद से हटाकर खुद सीएम बने। उसके बाद किशोर पटना में 7 सर्कुलर रोड में सीएम आवास में शिफ्ट हो गए।