मित्र के घर तथा भगवान के घर बिना निमंत्रण के जाना चाहिए पंडित – अरविंद

0

मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

आम्बुआ (अलीराजपुर) लोग कहते हैं कि हमें बुलाला नहीं हम क्यों जाएं कई कार्यक्रमों तथा प्रसंगों में निमंत्रण जरूरी है तथा बिना बुलाए नहीं जाना चाहिए। अगर मित्र के घर जाना हो कथा सुनने जाना हो या भगवान के मंदिर जाना हो तो बगैर निमंत्रण के जाना उचित है। कहीं भी जाओ खाली हाथ नहीं जाना चाहिए। मित्र रिश्तेदारी गुरु के पास तथा मंदिर जाते समय कुछ सामान हाथों में ले जाना चाहिए बाजार दुकान या ऑफिस से भी घर जाओ तो कुछ ना कुछ हाथ में लेकर जाओ।

उक्त उद्गार भागवत ज्ञान गंगा समिति आम्बुआ द्वारा श्राद्ध पक्ष में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा श्रवण करा रहे व्यासपीठाधीश अरविंद भारद्वाज नागदा वाले उपस्थित श्रोताओं के समक्ष व्यासपीठ से व्यक्त किए। पं. श्री अरविंद जी के अनुसार यदि भगवान का होना है तो अपने आप को दुर्गुणों बुरे विचारों आदि से खाली करो तब ही भगवान के बन सकते हो मन का मंजन (सुद्धिकरण) सत्संग में होता है कथा सुनने के बाद भी हृदय में परिवर्तन नहीं आया तो कथा सुनने का क्या औचित्य इसलिए तन का मंजन छोड़ो मन का मंजन करो।

उन्होंने आगे बताया कि 100 काम छोड़कर भोजन करना चाहिए क्योंकि भोजन से शक्ति मिलती है जिससे कार्य पूर्ण होता है हजारों काम छोड़कर स्नान करना चाहिए ताकि शरीर साफ रह सके शरीर साफ होगा तो बीमारियां नहीं आएगी लाख काम छोड़ कर दान करना चाहिए ताकि अगला जन्म सुधर सके और एक करोड़ काम छोड़कर भजन करना चाहिए ताकि भगवान मिल सके और जन्मों जन्मों के बंधन कट सके। पं. अरविंद जी ने भागवत कथा के तीसरे दिवस सती की कथा शिव जी द्वारा सती का त्याग सती ने पिता घर जा कर शिवजी के अपमान पर योग अगनी में अपने आप को जला देना यज्ञ विध्वंस तथा सती के पार्वती रूप में पुनः जन्म तथा शिव विवाह की कथा सुनाइ जिसमें श्रोता भजनों पर झूम झूम कर नाचे कथा में राजा उत्तानपाद की कथा में ध्रुव के जन्म एवं सौतेली माता द्वारा अपमानित होकर साधना करने तथा भगवत प्राप्ति की कथा के बाद जड भरत की कथा विस्तार से सुनाई इसके बाद प्रहलाद की कथा एवं हिरना कश्यप का भगवान द्वारा उद्धार करने की सुविस्तार कथा के साथ ही उन्होंने बताया कि जो जैसा करता है। वैसा भुगतना पड़ता है। नर्क में जाने से बचने के लिए गुरु कृपा जरूरी है उन्होंने प्रेम का उदाहरण दूध और पानी से दिया तथा मित्रों से कपट तथा गुरु से धोखा नहीं करने की नसीहत दी कथा श्रवण हेतु आम्बुआ, बोर, भाबरा अलीराजपु,र जोबट, वालपुर, सोंडवा, उमराली, छकतला, नागपुर से अनेक श्रोता प्रतिदिन आ रहे हैं।

Leave A Reply

Your email address will not be published.