मशरूम खेती प्रशिक्षण लेकर आत्मनिर्भर भारत एवं शुद्ध शाकाहारी भोजन की सलाह

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भूपेन्द्र बरमडंलिया, मेघनगर
मेघनगर. वनवासी सशक्तिकरण बड़ा घोषशल्या छात्रावास के बच्चे इन दिनों मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण लेकर मशरूम का उत्पादन सेवा भारती छात्रावास के विद्यार्थी कर रहे है, जहां पूरा देश कुपोषण से निजात पाने में लगा हुआ है।वहीं सेवा भारती छात्रावास के विद्यार्थियों ने मशरूम उत्पादन का मॉडल तैयार कर रहे है।आप को बता दे कि मशरूम अत्यधिक प्रोटीन युक्त एसम्पूर्ण पोषक तत्व प्रदान करने वाला होता है, जिसका सेवन सभी कर सकते हैं यह पूर्ण रूप से शाकाहारी भोजन है।वनवासी सशक्तिकरण केंद्र बड़ा घोसलिया रामसिंह निनामा प्रकल्प प्रमुख पीयूष साहू ने बताया कि। हजारों वर्षों से विश्वभर में मशरूम की उपयोगिता भोजन और औषध दोनों ही रूपों में रही है। ये पोषण का भरपूर स्रोत हैं और स्वास्थ्य खाद्यों का एक बड़ा हिस्सा बनाते हैं। मशरूमों में वसा की मात्रा बिल्कुल कम होती हैं। विशेषकर प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट की तुलना में और इस वसायुक्त भाग में मुख्यतया लिनोलिक अम्ल जैसे असंतप्तिकृत वसायुक्त अम्ल होते हैं। ये स्वस्थ ह्दय और ह्दय संबंधी प्रक्रिया के लिए आदर्श भोजन हो सकता है। पहलेए मशरूम का सेवन विश्व के विशिष्ट प्रदेशों और क्षेत्रों तक ही सीमित था पर वैश्वीकरण के कारण विभिन्न संस्कृतियों के बीच संप्रेषण और बढ़ते हुए उपभोक्तावाद ने सभी क्षेत्रों में मशरूमों की पहुंच को सुनिश्चित किया है। मशरूम तेजी से विभिन्न पाक पुस्तक और रोजमर्रा के उपयोग में अपना स्थान बना रहे हैं। एक आम आदमी को रसोई में भी उसने अपनी जगह बना ली है। उपभोग की चालू प्रवृत्ति मशरूम निर्यात के क्षेत्र में बढ़ते अवसरों को दर्शाती है। इसी को देखते हुए वनवासी सशक्तिकरण आश्रम के बालक मशरूम की खेती से आम जीवन मे पौष्टिकता के साथ जीवन मे शाकाहारी भोजन की उपयोगिता के साथ-साथ खेती प्रशिक्षण लेकर आत्मनिर्भरता की ओर कार्य कर रहे हैं।

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