मप्र आशा सहयोगिनी वर्कर्स यूनियन ने समस्याओं को लेकर सौंपा ज्ञापन

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फिरोज खान, अलीराजपुर
आशा सहयोगिनी वकर्स ने अपनी विभिन्न जायज समस्याओं को लेकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। कार्यकर्ताओं ने अपनी समस्याओं से रूबरू करते हुए कहा कि हम आशा कार्यकर्ता कोविड 19 महामारी के समय कॉन्टेमेंट झोन में जाते है लेकिन हमें सुरक्षा साधन भी नहीं दिए गए। वहीं महामारी के दौरान आशा वर्कर्स को सिर्फ एक हजार रुपए प्रतिमाह दिया जा रहा है, जबकि मप्र सरकार द्वारा घोषित प्रतिदिन की न्यूनतम मजदूरी 500 रुपए हैं, वहीं कोरोना काल में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने घोषणा की थी कि आपदा में लगे प्रत्येक कर्मचारी का चाहे वह किसी भी विभाग का होग 50 लाख का बीमा स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को प्रतिमाह 10 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि देंगे, किंतु दुख की बात यह कि फ्रंटलाइन आशा कार्यकर्ता वर्कर्स को आज तक कोई प्रोत्साहन राशि नहीं दी। साथ ही कोरोना की चपेट में आई आशा कार्यकर्ताओं को भी सही इलाज तक नहीं मिला। वहीं वर्तमान समय में कई आशा कार्यकर्ता गंभीर बीमारी व दुर्घटना की शिकार है लेकिन उन्हें भी कन्टेनमेंट झोन में जाने के लिए दबाव डाला जाता है नहीं करने पर काम से हाटने की धमकियां दी जा रही है। वहीं प्रदेश सरकार 85 हजार आशा वर्कर्स के प्रति लापरवाही का रुख अख्तियार कर चुकी है, जिसके लिए गंभीरता की जरूरत है। वहीं सभी आशा वर्कर्स को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए, सभी को न्यूतनम वेतन 20 हजार रपए दिया जाए। साथ ही सभी आशा कार्यकर्ताओं को पर्याप्त मात्रा में मास्क, सेनिटाइजर, ग्लव्स, और पीपीटी किट उपलब्ध करवाए जाए। वहीं प्रदेश सरकार आशा कार्यकर्ताओं को भी 10 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाए, व आशा कार्यकर्ताओं को भी 50 लाख रुपए की बीमा राशि का लाभ दिया जाए।कोरोनावायरस से संक्रमित होने की स्थिति में आशा वर्कर्स को मेडिकल सुविधा मुहैया की जाए। आशा कार्यकर्ताओं को मौसम एवं प्रकृति के अनुसार रेनकोट, जूते, सर्दी की पोशाक, छाता-टार्च दिए जाए। आशा वर्कर्स की सेवाकाल में मौत होने पर आश्रित को अनुकंपा के आधार पर नौकरी दी जाए। इस अवसर पर मगला रावत, वर्षा जमरा, ललिता पिपलाज, बाली मंडलोई, सरमाबाई भयडिया, हिरली डावर, , सेना चौहान आदि मौजूद थे।

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