भूरिया के साथ ही खत्म हुई राजनीति मे सरलता की राजनीति

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झाबुआ/अलीराजपुर लाइव डेस्क । सांसद दिलीपसिंह भूरिया की मृत्यु के साथ ही झाबुआ / अलीराजपुर जिले मे सादगी ओर सरलता के उस युग का भी अंत हो गया जो 4 दशको तक इन जिलो की राजनीति मे देखा गया था । दिलीपसिंह भूरिया इस युग के अंतिम वाहक कहे जा सकते है । IMG-20150624-WA0493

चोकडी थी सरलता की प्रतीक

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सभी जानते है झाबुआ ओर अलीराजपुर जिले मे चार दशक मे से तीन दशक तक कांग्रेस का ही बोलबाला था ओर भाजपा दूर दूर  तक नही थी । अलीराजपुर मे स्वर्गीय “मगनसिंह” तो जोबट मे स्वर्गीय “अजमेर सिंह रावत” सादगी ओर सरलता के साथ राजनीति मे भोलेपन के प्रतीक थे वही झाबुआ मे ” बापूसिंह डामोर” उस सहज सरल राजनीति के प्रतिक थे । यह तीनो विधायक ना तो अहंकारी थे ओर ना ही कभी कदाचरण देखने सुनने को मिला । हाट बाजारो मे यह सभी ऐसे घुमते थे मानो आम आदमी हो । हाट मे मूली- धनिया खुद खरीदना ओर पैदल ही बाजार मे घूमकर जनता से मिलना इन सभी की खुबी थी । सांसद दिलीपसिंह भूरिया भी इसी श्रेणी की राजनीति करते थे उनकी सरलता ओर सहजता भी लोगो को भाती थी । उन पर कोई भी यह आरोप नही लगा सकता कि राजनीतिक विद्वेष के चलते किसी का कोई नुकसान किया हो । ना सप्लायर उनके आसपास घुमते थे ना चमचे । उनका एक ही नारा था “सीधी बात – नो बकवास ” खुद भूरिया की भाजपा के लोग इस बात से डरते थे कि कही सार्वजनिक मंच से वह खरी खोटी नाथ सुना दे । खैर अब इन दोनो जिले मे शुचिता – सरलता -सहजता की राजनीति खत्म हुई ।

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