भील प्रदेशमुक्ति मोर्चे ने स्टेच्यू आफ यूनिटी एरिया डवलपमेंट एंड टूरिज्म गर्वनेंस एक्ट 2019 वापस लेने को लेकर सौंपा ज्ञापन

0


अलीराजपुर लाइव डेस्क
भीलप्रदेश मुक्ति मोर्चा जिला अलीराजपुर की ओर से कलेक्टर सुरभि गुप्ता को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया। उक्त ज्ञापन प्रधानमंत्री,राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग दिल्ली, जनजाति आयोग नईदिल्ली, राज्यपाल गुजरात व मध्यप्रदेश के साथ ही मुख्यमंत्री मप्र व गुजरात के नाम संबोधित उक्त ज्ञापन में मांग की गई कि सिंधुघाटी सभ्यता काल से जारी जबरन आदिवासी विस्थापन की ऐतिहासिक श्रंृखला का नवीनतम केवडिया नर्मदा से आदिवासी विस्थापन रोककर मानवाधिकार हनन रोकने की मांग की गई। ज्ञापन में कहा गया कि भील आदिवासी भारत भूमि का इंडिजिनस आदिवासी समूह है वह अरावली विध्यांचल, सतपुड़ा सहयाद्री पर्वतमालाओं और साबमती- माही, नर्मदा, तापी, गोदावरी नदियों की उत्पत्ति काल से ही मिट्टी, पानी, आबो-हवा का जन्म से मूलवंश है। इन्हीं पर्वतमालाओं नदियों के बराबर समयकाल से इन स्थानों का रहवासी है। जिनके अनुवांशिक वंशज वर्तमान में हम है। वहीं भील आदिवासी समतामूलक स्वतंत्रतापूर्वक सहकार मूलक न्यायमूलक समुदाय है व भील आदिवासी मूलत: लोकतांत्रिक, शांतिप्रिय, अहिंसक, निसर्गवादी, जियो और जिने दो की सरल जीवनशैली के लिए जाने जाते हैं व उनकी अपनी राज व्यवस्था रही है और सत्ता के संरक्षण में नहीं रहे हैं। वहीं सत्ता संरक्षण में दूसरे लोगों का इतिहासकाल से उत्पीडऩ झेल रहेहैं व मानवीय मूल्यों से ओतप्रोत आदिवासी समुदाय के मूल चरित्र विरोधी लोगों द्वारा सिंधुघाटी सभ्यताकाल से लगातार विस्थापन झेल रहे हैं। मगर कभी भी अपनी मूल भूमि पश्चिमी भारत का भीलप्रदेश छोड़कर कहीं नहीं गए। वहीं इन तथ्यों का साक्षी ऐतिहासिक दस्तावेज कैलाश बनाम महाराष्ट्र सरकार 5 जनवरी 2011 का सुप्रीम कोर्ट का फैसला है। वहीं सिंधुघाटी सभ्यता से ही भील आदिवासी कभी भी जमीन के लिए आक्रमक नहीं रहे व अपनी जमीन ही सुरक्षित करते हैं। साथ ही नर्मदा के 14 ग्रामों में स्टेच्यू ऑफ यूनिटी एरिया डवल्पमेंट एंड टूरिज्म गर्वनेंस एक्ट 2019 के तहत आदिवासी विस्थापन की घटनाएं हो रही है। वहीं इसके विपरीत केवडिया नर्मदा सहित 14 गांवों में संविधान के अनुच्छेद 21 सहित मूल अधिकार अनुच्छेद 13(3) के परंपरागत रूढ़ी प्रथा कानून अधिखार अनुच्छेद 244(1) पांचवी अनुसूची के विशेषाधिकार सहित मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन कर आदिवासियों की जबरन जमीने हड़पी जा रही है। जिसके लिए गुजरात सरकार का स्टेच्यू आफ यूनिटी एरिया डवलपमेंट एंड टूरिज्म गर्वनेंस एक्ट 2019 जिम्मेदार है। जो असंवैधानिक है व इसे आदिवासी इलाके में उपनिवेशीकरण के समान है। जो भील आदिवासी समाज इस काले कानून का विरोध करती है जिसे तुरंत ही वापस लिया जाए।
गुजरात के केवडिया के 14 गांव के आदिवासी परिवार को जमीन से बेदखल किया जा रहा है उस संबंध में सरकार को ध्यान आकर्षित किया गया। गुजरात सरकार आने वाले समय में केवडिया के 14 गांव के आदिवासियो के विस्थापन को नहीं रोकती हैं तो भीलप्रदेश मुक्ति मोर्चा प्रदेश भर में आंदोलन करेगा

Leave A Reply

Your email address will not be published.