भागवत कथा में सुनने उमड़ा उमड़ा धर्मावलंबियों का जनसमूह

May

पन्नालाल पाटीदार, रामनगर
भागवत कथा के पांच दिन कृष्ण जन्म कब और कहा हुआ पंडित नारायणजी व्यास के मुखारबिन्द से विस्तार से बताया गया। द्वापर युग में पृथ्वी पर राक्षसों के अत्याचार बढऩे लगे पृथ्वी गाय का रूप धारण कर अपनी कथा सुनाने के लिए तथा उद्धार के लिए ब्रह्माजी के पास गई। पृथ्वी पर पाप कर्म बहुत बढ़ गए यह देखकर सभी देवता भी बहुत चिंतित थे। ब्रह्माजी सब देवताओं को साथ लेकर पृथ्वी को भगवान विष्णु के पास क्षीरसागर ले गए। उस समय भगवान विष्णु अन्नत शैया पर शयन कर रहे थे। स्तुति करने पर भगवान की निद्रा भंग हो गई भगवान ने ब्रह्मा जी एवं सब देवताओ को देखकर उनके आने का कारण पूछा तो पृथ्वी बोली भगवान मैं पाप के बोझ से दबी जा रही हूं, मेरा उद्धार किजिए। यह सुनकर भगवान विष्णु उन्हें आश्वस्त करते हुए बोले चिंता न करे मैं नर अवतार लेकर पृथ्वी पर आऊंगा और इसे पापों से मुक्ति प्रदान करूंगा। मेरे अवतार लेने से पहले कश्यप मुनि मथुरा के यदुकुल में जन्म लेकर वसुदेव नाम से प्रसिद्ध होंगे। मैं ब्रज मंडल में वासुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से कृष्ण के रूप में जन्म लूंगा और उनकी दूसरी पत्नी के गर्भ से मेरी सवारी शेषनाग बलराम के रूप में उत्पन्न होंगे। तुम सब देवतागण ब्रज भूमि में जाकर यादव वंश में अपना शरीर धारण कर लो। कुरुक्षेत्र के मैदान में मैं पापी क्षत्रियों का संहार कर पृथ्वी को पापों से भारमुक्त करूंगा। इतना कहकर अन्तर्धयान हो गए। इसके पश्चात देवता ब्रज मंडल में आकर यदुकुल में नन्द यशोदा तथा गोप गोपियो के रूप में पैदा हुए गांव पाटीदार समाज द्घारा श्रीमद्र भागवत कथा का अयोजन किया जा रहा है।