आम्बुआ (मयंक विश्वकर्मा)
इस्लाम में रोजा रखना सवाब का काम माना जाता है ।विशेषकर बच्चों को रोजा रखाना वह भी दूध मुंहे तथा नौनिहाल को रोजा रखवाना बच्चों के साथ साथ बड़ों को भी शबाब का हक दिलाता है ।आम्बुआ बोहरा जमात के कई परिवारों के 1 से 3 साल के बच्चों ने रोजे रखे। हमारे संवाददाता को दाऊदी बोहरा जमात के कुछ परिवारों ने बताया कि उनके परिवारों के नौनिहालों ने मोतीसवालाख के उपलक्ष 2 अप्रैल को सुबह 5 बजे की नमाज के बाद बच्चों को रोजा रखाया गया लगभग सात आठ बच्चे बच्चियों जिनकी उम्र 1 से 3 साल तक है को रोजा रखवाया गया तथा शाम की मगरिब की नमाज के समय रोजा छुड़ाया गया।रोजा रखने वालों में मुफद्दल दाऊद भाई, मोहम्मद यूसुफ, फातिमा हुसैन भाई, शब्बीर युसूफ भाई, बुरहानुद्दीन आबूतालिब, फातिमा आबुतालिब, बुरहानुद्दीन हुसैन भाई, आदि को उसके परिवार वालों ने रोजा रखवाया। दिनभर बगैर पानी खाने के उन्होंने रोजा रखा जो कि एक हिम्मत तथा जज्बे वाला कार्य कहा जा सकता है समाज जनों ने मुबारक बाद दी।
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