बाल श्रम मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और नैतिक रूप से हानिकारक है : सोलंकी

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आलीराजपुर। बाल श्रम किसी भी प्रकार के काम के माध्यम से बच्चों का शोषण है जो उनके नियमित स्कूल जाने की क्षमता में बाधा डालता है, या मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और नैतिक रूप से हानिकारक है।

यह बात जीवन ज्योति हेल्थ सर्विस के सहयोग से संचालित एक्सेस टू जस्टिस फॉर चिल्ड्रन संस्था अलीराजपुर के  सदस्य भावेश सोलंकी ने कही। संस्था के डायरेक्टर फादर पीए थॉमस के मार्ग दर्शन में शुक्रवार को चंद्रशेखरअ आजाद नगर ब्लॉक के कोरिया पान गांव में बाल विवाह और बाल श्रम रोकथाम को लेकर कार्यक्रम आयोजित किया गया।  सरपंच अन्नु बनसिंह बामनिया ने कहा कि 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चे को किसी कारखाने या खान में काम में नहीं लगाया जाना चाहिए। उन्हें अन्य किसी भी जोखिमपूर्ण रोजगार में नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए।

वेटनरी नोडल अधिकारी नीता तोमर ने कहा कि बाल श्रम का मुख्य कारण गरीबी, अशिक्षा, जागरूकता की कमी, और कमजोर कानूनों का पालन न होना है। इसके निवारण के लिए शिक्षा, जागरूकता, आर्थिक सहायता, और कानूनों का सख्ती से पालन करना आवश्यक है।  रोजगार सहायक दिनेश मावी, मोबाइलाइजर शंकर मेड़ा, राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान के ब्लॉक समन्वयक अजीत सोलंकी, सचिव  सुषमा चौहान ने भी संबोधित कर बाल विवाह के दुष्परिणम बताए। कार्यक्रम में पटवारी मनोज  निराले, सुरेश डावर, सवसिंह भाभर, ट्विंकल वसुनिया, नसरी मेहता आदि उपस्थित थे।

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