बारह आराधकों ने तेला तप के सामूहिक प्रत्याख्यान ग्रहण किए

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थांदला। आचार्यश्री उमेशमुनिजी के सुशिष्य प्रवर्तकश्री जिनेंद्रमुनिजी के आज्ञानुवर्ती समतामूर्तिश्री चंद्रेशमुनिजी, थांदला गौरवश्री सुयशमुनिजी ठाणा 2 स्थानीय पौषध भवन पर एवं साध्वीश्री निखिलशीलाजी, दिव्यशीलाजी, प्रियशीलाजी एवं दीप्तिजी म. सा. ठाणा-4 दौलत भवन महिला स्थानक पर वर्षावास हेतु विराजित हैं। मुनिवृंद एवं साध्वी मंडल के सानिध्य में वर्षावास के प्रारंभिक दिवस से ही त्याग-तपस्या, ज्ञान-ध्यान का दौर प्रारंभ हो गया हैं। बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं व बच्चें पूरी तन्मयता के साथ आराधना में जुड़ गए हैं। महत्वपूर्ण चौमासी पर्व पर 200 से भी अधिक आराधकों ने सामूहिक निराहार उपवास की तप आराधना की। 

तेले के प्रत्याख्यान ग्रहण किए

शुक्रवार 15 जुलाई को धर्मसभा में विशिष्ट आराधकश्री चंद्रेशमुनिजी म. सा. के मुखारविंद से श्रेया कांकरिया, प्रिया तलेरा, पिंकी रुनवाल, पूजा श्रीमाल, दीपा शाहजी, शोभना कांकरिया, किरण पावेचा, प्रांजल भंसाली, प्रांजल लोढ़ा, कमल श्रीमाल, विशेष तलेरा व श्रेयल कांकरिया सहित बारह आराधकों ने तेला तप (तीन तीन उपवास) के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। वहीं कई आराधकों ने विभिन्न तप के प्रत्याख्यान भी ग्रहण किए। 

वर्षीतप की आराधना चल रही है

यहां कई आराधक वर्षीतप की आराधना भी कर रहे हैं। इनमें ऐसे भी आराधक हैं जिन्हें लंबे समय से वर्षीतप की आराधना चल रही हैं। या यूं कहा जाए कि वे अब वर्षीतप की आराधना में मानो रम ही गए हैं। 

चार माह तक चलेगी तेले व आयंबिल की लड़ी

यहां संत साती मंडल की प्रेरणा से वर्षावास प्रारंभ दिवस से ही तेले व आयंबिल की लड़ी प्रारंभ हुई हैं। ये लड़ियां निर्बाध रूप से पूरे चार माह चलेगी। पौषध भवन पर संयमी आत्माओं के प्रतिदिन व्याख्यान हो रहे हैं। बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकाएं सामायिक आराधना के साथ व्याख्यान श्रवण करने का लाभ ले रहे हैं।

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