बच्चे मिट्टी व माखन खाने से धर्ममयी व कोमल बनते थे, अब कुरकुरे खाकर कठोर हो रहे हैं : प्रभु नागर

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img-20161229-wa0084 अलीराजपुर लाइव के लिए आम्बुआ से बृजेश खंडेलवाल की रिपोर्ट-
मन का बोध करवाने के लिए भागवत की कथा होती है। अगर आपके घर कोई व्यक्ति बार-बार आता है और आप उसे पसंद नही करते हो तो उसको नजर अंदाज कर दो यह प्रक्रिया बार बार करने से वह समझ जाएगा कि यहां हमारी चलने वाली नही है और वह समझ जायेगा और हमेशा के लिए चला जाएगा। ठीक उसी तरह गलत शब्दो को, गलत आचरण को महत्व मत दो। जीवन से हमेशा के लिये चला जाएगा। अगर महत्व देना है तो माता-पिता में, धर्म में ज्ञान में, अच्छाई में लगाओ जीवन का महत्व पता चल जाएगा। गोपियो ने केवल कृष्ण को महत्व दिया उनके सामने कोई भी आ जाए चाहे परिवारजन हो समाजजन हो सभी को छोड़ हरी को महत्व दिया। वह तर गई। मगर आज के आधुनिक युग में हमारे पास आधार नहीं है तो हरी की प्राप्ति असंभव है जिस प्रकार से सरकार ने सभी काम को पूरा करने के लिए आधार कार्ड बनाने पर ही काम होगा नहीं तो अछूते रह जाओंगे। अगर आपको भी जीवन मे कुछ सुख-शांति समृद्धि पाना है तो भगवान को आधार बनाओ। अगर प्रभु को आधार बना लिया तो आपका परिवार समाज तर जाएगा। वैज्ञानिको को इस बात का घमंड हो जाता है कि हमने दुनिया मे इतने यंत्र बना दिए है कि आज का मानव घर मे बैठे सभी सुख हासिल कर सकता है। मगर भगवान ने एक यंत्र ऐसा बनाया है कि जिसे दुनिया मे कोई नहीं बना पाया है, जो भगवान की कथा मे जाता है समझ लो उनका आधार कार्ड बन गया। ऋषि पर्वत पर सुग्रीव गुफा में छीपकर बैठा था कि उसका दुष्ट बलशाली भाई बाली उसे ढूंढक़र कभी भी मार डालेगा, इसपर राम भक्त हनुमान ने कहां है सुग्रीव तुम्हें बाली से डरने की आवश्यकता नहीं है। अगर आपको इस बड़ी संकट से उभरना है तो अयोध्या पति राम को अपना आधार बना लो आपके सभी संकट स्वत: ही खत्म हो जाएंगे। आप लोग राम को देखने मंदिरों में जाते है अब कही जाने की जरूत नहीं है राम आपके पास हो मैं आपको नया फार्मूला देना चाहता हूं। राम आपके हाथ में विराजमान है बीच वाली उंगली जो सबसे बड़ी है वह राम है पास में सीता मेय्या, रामके पास लक्ष्मण, गरूड़ और सबसे शक्तिशाली जो अंगूठा है वह हनुमान है आप रोज सुबह उठकर अपने हाथों के दर्शन करो उसी मे राम दरबार है। त्योहार मे सबसे बड़ा त्योहार अगर है तो वह जन्माष्टमी है जब हमारे भगवान कृष्ण का जन्म हुआ। भागवत के चतुर्थ पक्ष मे कृष्ण का जन्म होता है। कृष्ण को अपने घर में विराजमान कर लो, इनके विराज होते ही कुल पवित्र हो जाता है, और पितरों का जो दोष होता है वह स्वत: समाप्त हो जाता है एवं सभी तरह के यज्ञ जो आप करते हो उसकी पुर्णाहुति हो जाती है। कहने का तात्पर्य यह है कि जो व्यक्ति भगवान को, हरी को अपना आधार बना लेता है वह भव सागर तर जाता है। साथ ही जिस कुल का मनुष्य भागवत की कथा का श्रवण करता है, तर जाता है। कृष्ण के नाम से की संपूर्ण कार्यों की प्राप्ति हो जाती है, जो बच्चा बचपन में मिट्टी खाता है उसमे ममत्व, देशभक्ति, धर्म भक्ति आ जाती है और जो बच्चा माखन खा ले तो वह माखन के समान कोमल हो जाता है। मगर आज का युग में तो बच्चो को कुरकुर्रे खीने को चाहिए। बस उसी की तरह कठोर हो गए। एसाथ ही कल युग में न मां बची न ममता। मां से मम्मी बन गई अगर अभी भी जिसने में शब्दों का उच्चारण किया समझ लो उसकी नय्या पार हो जाएगी।

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