प्रशासनिक व्यवस्था हुई लचर अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं प्रवासी मजदूर

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भूपेंद्रसिंह नायक, पिटोल
कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के चलते लॉकडाउन के 40 दिन तो पूरे हुए परंतु लॉकाउन थ्री जैसे ही शुरू हुआ वैसे ही मजदूरों के मन में अपने घर पहुंचने के लिए बेसब्री हुई उसी के चलते पिटोल बॉर्डर पर प्रवासी मजदूरों का आना सतत जारी है। क्योंकि कल से उत्तर प्रदेश में बिहार के मजदूरों का पिटोल बॉर्डर से वापस गुजरात भेजने का सिलसिला चालू है। क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उन्हें मध्य प्रदेश के रास्ते भेजने का आदेश निरस्त करने के बाद उत्तर प्रदेश और बिहार के मजदूर तो परेशान हो रहे हैं कई मजदूर उत्तर प्रदेश के अभी भी चोरी छुपे पहाडिय़ों के रास्ते पैदल पैदल चल रहे हैं। वही पिटोल बॉर्डर पर अभी भी भिंड, मुरैना, सतना, दतिया, शिवपुरी, दमोह, शाजापुर आदि दूरस्थ जिलों के मजदूर काफी संख्या में आ रहे हैं जिनको लेने के लिए उन जिलों के कलेक्टरों द्वारा बस से भेजी गई थी और वहां के मजदूरों को लेकर गई फिर भी फिर भी काफी संख्या में इन जिलों के मजदूर अभी भी आ रहे हैं। उनके लिए झाबुआ परिवहन विभाग द्वारा झाबुआ जिले के बस ऑपरेटरों की बसों का अधिग्रहण किया गया है परंतु अब ऐसा लग रहा है कि पिटोल बॉर्डर पर आने वाले मजदूरों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि प्रशासन द्वारा उस उनके भोजन पानी की व्यवस्था तो है पर भोजन की गुणवत्ता पर भी ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि मजदूरों को भोजन नहीं भाता रोड के ऊपर ही झूठा फेंक देते हैं वैसे ही वहां पर ड्यूटी कर रहे हैं। कर्मचारियों दबे स्वर में कहते हैं कि हमारे लिए भी भोजन के पैकेट अच्छा नहीं होता पानी की व्यवस्था नहीं है कर्मचारी के हमारे लिए भी कुछ समुचित व्यवस्थाएं बनाई जाए हम भी अपनी जान जोखिम में डालकर यहां ड्यूटी कर रहे हैं हमें भी यहां टैंकर का पानी पीना पड़ता है।

बस मालिक हो रहे हैं परेशान
जब से प्रवासी मजदूरों का आना प्रारंभ हुआ तब से परिवहन विभाग के अधिकारी द्वारा गाडिय़ों का अधिग्रहण किया गया जिसमें सैकड़ों गाडिय़ां को झाबुआ जिले के एवं दाहोद के बस मालिकों की थी जिनको पिटोल बॉर्डर से मध्य प्रदेश के अन्य जिलों के अलावा शुरू के 2 दिनों तक उत्तर प्रदेश एवं बिहार के मजदूरों को भी लेकर भेजी गई परंतु प्रशासन द्वारा बस मालिकों को डीजल 150 से 200 लिटर प्रदाय किया जा रहा है परंतु बस मालिकों को कहना है कि 1000 से 1500 किलोमीटर की दूरी के लिए यह डीजल पर्याप्त नहीं होता एवं डीजल टंकी भी इतनी बढ़ी टंकी नहीं होती कि जिस में हम स्टोरेज करें परंतु वापस आने के लिए बस मालिकों को डीजल डलवाने के लिए रुपयों की आवश्यकता होती है परंतु प्रशासन द्वारा रुपैया नहीं देने से अपने हैसियत के हिसाब से कोई बस मालिक ने तीन लाख तो कोई दो लाख छोटे बस मालिकों ने भी अपने घर से पैसा लगाया रुपया लगाया अब कई बस मालिक तो जेब से रुपए लगाने की हालत में नहीं है। प्रशासन को रुपए का चेक नहीं देने से इनकी स्थिति खराब हो रही है जिसके चलते आज 15 बस मालिकों ने झाबुआ सांसद गुमान सिंह डामोर एवं कलेक्टर प्रबल सिपाहा से मुलाकात की जिसमें कलेक्टर सिपाहा ने दो-तीन बस मालिकों को रुपयों के चेक प्रदान किया और बाकी के कल देने की बात कही है। वहीं बसों की कमी की वजह से मजदूरों को बसों के अंदर ऊपर नीचे भेड़ बकरियों की तरह भरा जा रहा है। कोरोना वायरस से तो लोगों की जान को खतरा है परंतु कोई बस दुर्घटना हुई तो जान माल की हानि होगी वहीं फिर से जिस रूट की खाली ट्रक होती है उसी रूट के मजदूरों को उस में भरकर भेजा जा रहा है।

एसडीएम के खिलाफ हुए बस ड्राइवर एवं बस ऑपरेटर
आज दोपहर 3रू बजे के आसपास बस ड्राइवर एवं क्लीनर से झाबुआ एसडीएम अभय खराड़ी के साथ बहस होने से ड्राइवरों ने गाड़ी खाली कर झाबुआ कलेक्टर के पास शिकायत लेकर पहुंचे जिसमें ड्राइवर ने आरोप लगाया कि एसडीएम साहब हमारे साथ ऐसा ही दुव्र्यवहार करते हैं और हमारे को मां बहन की गालियां देते हैं हम भी संक्रमण से हमारी जान जोखिम में डालकर इन मजदूरों को उनके जिलों तक छोडऩे जा रहे हैं परंतु ऐसा व्यवहार प्रशासन का रहा तो हम मजदूरों को लेकर नहीं जाएंगे।

इनका कहना है
बस मालिकों एवं बस ड्राइवर को हम जिन जिलों में भेजते हैं वहां नहीं जाते हुए अपने सुविधानुसार जाने की बात करते हैं जहां उन्हें ज्यादा किराया मिले क्योंकि हम भी 35 और 45 रुपए के रेट से इनको किराया दे रहे हैं जिसके चलते जिन जिलों के कलेक्टरों ने वहां से मजदूरों को लाने के लिए अपनी बसें भेजी है उन्हें प्राथमिकता से हम लोग भेजते हैं क्योंकि बस आपरेटर अपने हिसाब से जाना चाहते हैं इसलिए इनसे बात के लिए बहस हुई मैंने कोइ दुव्र्यवहार नहीं किया और ना ही किसी को मारा।- डॉ अभयसिंह खराड़ी एसडीएम झाबुआ

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