प्रणाम करने मात्र से सौ पाप पुण्य मे बदल जाते है : अजय आनंद

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अलीराजपुर लाइव के लिए आम्बुआ से बृजेश खंडेलवाल की रिपोर्ट-

हम लोग आधुनिकता के इस जीवन मे प्रणाम नाम को भुलने लगे है | हमे प्रणाम करना चाहिये ,चाहै आप अपने माता -पिता , भगवान , धरती, सुर्य , ईष्टमित्रो , रिश्तेदारो को सच्चे मन से प्रणाम करो आपके और आपके परिवार के लोगो के सौ पाप भी पुण्य मे परिवृतित हो जाते है | मगर ये सब करने मे आज हमे शर्म होने लगती है | जिसने अगर प्रणाम सही श्रद्धा से करली समझो साक्षात प्रभु से जुड़ जाता है और यह करने से उसका ही नही कई पिड़ी के दुख दुर हो जाते है | यह बात भागवत कथा मे उपस्थित श्रौताओ से संत अजय ऑनद महाराज ने कही | कथा मे मीरा के जीवन के बारे मे बताते हुवे कहॉ कि मीरा को राणा बहुँत परेशान करता था | फिर भी मीरा ने अपनी व्यथा संत रविदास को कुछ इस तरह बतायी कि है संत ये मेरा मन बड़ा पापी है ,एक सौ आठ माला का जप करने तक मे नही लगता है | है प्रभु अगर यह मन अभी -भी नही सुधरा तो जीवन गर्त की और चला जायेगा | जिस तरह हम कोई वाहन चलाते है तो हमे जहॉ जाना होता है उस और मोड़ लेते है बस उसी तरह मेरे इस पापी मन को भगवान के भजन की और मोड़ दो जिससे मेरा जीवन धन्य हो जायेगा | कथा मे संत ने कहॉ मन की भी बात हमेशा नही मानना चाहिये | ये मन की इच्छा पुरी नही होती इसकी इच्छा बढती ही जाती है | राम -,सीता को वनवास हुआ , वनवास के समय एक बार सीता ने एक सुन्दर सोने के हिरण को देखा और मन बना लिया कि मुझे यह हिरण चाहिये और वही हिरण उनके दुख का कारण बना | इस राम – सीता की कथा से हम सभी को सीखना है | मन की हर बात नही मानना | नही तो आपके सुखी जीवन मे दुख का प्रवेश हो जायेगा | कृष्ण जन्म को लेकर कहॉ कि भगवान कृष्ण का जन्म जेल मे हुआ क्या जेल जगह अच्छी होती है नही , मगर वहॉ पर रहने वाले लोग अच्छे थे | जगह चाहे कैसी भी हो अगर वहॉ रहने वाले अच्छे होना चाहिये अगर ऐसा है तो वहॉ पर भगवान का जन्म हो सकता है | और जेल मे भगवान कृष्ण ने जन्म लिया और कंस मामा जो महा पापी था | कंस ने अपनी बहन को बंदी बनाकर जेल मे रखा था | उसे यह पता था कि इसकी आठवी संतान मेरा वध करेगी | वह लगातार सात सन्तानो का वध करता रहा मगर आठवी सन्तान के रुप मे अवतार लिया और कंस का वध किया | हम भी अपना मन पवित्र रखे ,घर मे स्वच्छता रखे मन और घर सुन्दर होते है वहॉ पर भगवान श्री कृष्ण का वास होता है | सम्बंध रखो तो भगवान से रखो ,भजन से रखो जिससे हमारा ही नही अपनी आने वाली पिड़ी उस पुण्य का लाभ लेती है | कथा के अंत मे सुदामा जी कृ्ष्ण को लेकर पॉडाल मे ढोल-बॉजे के साथ नृत्य करते हुवे गा रहे थे – नन्द के घर नन्द भयो- जय कन्हैय्यालाल की | आकर दही से भरी मटकी फोड़ी कर मनाया कृष्ण जन्मोत्सव | कथा सुनने प्रतिदिन जोबट, भाबरा, खट्टाली, नानपुर, अलीराजपुर से सेकड़ो श्रौतागण नियमित आ रहे है |

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