पुलिस विभाग के 50 से अधिक स्कूल के प्राचार्य-प्रधान अध्यापकों को प्रशिक्षण में दी महत्वपूर्ण जानकारियां

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फिरोज खान, अलीराजपुर
पुलिस मुख्यालय भोपाल के द्वारा दिए गए निर्देसों के पालन में पुलिस कंट्रोल रूम अलीराजपुर में 50 से अधिक स्कूल प्राचार्य/प्रधान अध्यापकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें बालक-बालिकाओं के विरूद्ध घटित हो रहे अपराधों में आयु निर्धारण के संबंध में अवगत करवाया। इस दौरान बालक-बालिका के विद्यालय में प्रवेश के समय माता-पिता द्वारा लिखाई गई जन्मतिथि महत्वपूर्ण दस्तावेज है। इसे सावधानीपूर्वक लिखना चाहिये। इसका वैधानिक महत्व एवं मान्यता है। जन्मतिथि लिखाते समय बालक/बालिका का प्रवेश कराते समय आने वाले माता-पिता व अभिभावकसे जन्मतिथि का प्रमाण जैसे नगरीय निकाय या ग्राम पंचायत द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र-जन्म पंजीयन की जानकारी या आंगनवाडी सहायिका के पास कोई प्रमाणध्जानकारी यदि हो तो उसका प्रमाण मांगना चाहिये। वहीं यदि कोई भी प्रमाण पत्र न होए तो बालक-बालिका की आयु का आंकलन उसकी कदए काठीए शारीरिक/मानसिक विकास आदि से लगाना चाहिये तथा यह संतुष्टि कर लेना चाहिये कि बालकाध्बालिका की उम्र उसके अभिभावक द्वारा बताई जा रही ही उम्र के बराबर होना प्रतीत हो रही है। साथ ही जन्म तिथि का उल्लेख दाखिला रजिस्टर या स्कॉलर रजिस्टर पर जिस स्थान पर किया गया है, उस पर पारदर्शी टेप लगा देना चाहिये ताकि उससे छेडछाड न हो सके या दुर्घटनावश उसकी स्याही मिट न जाए। जन्मतिथि रजिस्टर से कांटछांट नहीं होना चाहिए। न्यायालय में साक्ष्य देते समय यह ध्यान रखना चाहिये कि विद्यालय का रिकार्ड भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अंतर्गत लोक दस्तावेज है और इससे सामान्य क्रम में विद्यालय के उपयोग हेतु तत्समय तैयार किया जाता है, जिस समय उसका तैयार किया जाना रिकार्ड में है। यह दस्तावेज संदर्भित बालका-बालिका के साथ अथवा उसके द्वारा केाई आपराधिक कृत्य हो जानेंध्करने के समय तैयार नहीं किया जाता है। धारा 35 साक्ष्य अधिनियम के अंतर्गत यह विष्वसनीय साक्ष्य है। न्यायालय में साक्ष्य देते समय विद्यालय के प्रधानाध्यापक, अध्यापक व स्टाफ को यह स्थापित करना है कि विद्यालय के दस्तावेज सही एवं प्रमाणित है और यही सत्य है। न्यायालय में साक्ष्य के दौरान साक्षी को वही अभिस्वीकृति करना चाहिये जो उसकी जानकारी में है और जिसका उसके पास प्रमाण है। पाक्सो एक्ट की धारा 19 के अनुसार बच्चों के शारीरिक/लैंगिक शोषण की जानकारी होने पर विद्यालय के प्रबंधन की जिम्मेदारी है कि वह इसकी सूचना एसजेपीयू या निकटतम थाना के थाना प्रभारी या थानें के बाल कल्याण अधिकारी को दे। वहीं विद्यालय के प्रारंभ से ही बच्चों को गुड टच/बेड टच की जानकारी देना चाहिये तथा अध्यापक को बच्चें के व्यवहार में अचानक परिवर्तन नोटिस में आने पर बच्चों को विश्वास में लेकर वस्तुस्थिति की जानकारी लेनी चाहिये। बडी संख्या में ऐसे प्रकरण सामनें आये हैंए जिसमें बच्चों का शोषण उनके नजदीकी, रिश्तेदार, परिचित, पड़ोसी आदि ने ही किया है और बच्चे भय के कारण अपनें माता पिता को भी नहीं बताते। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सीमा अलावा की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ, जिसमें महिला प्रकोष्ठ के प्रभारी निरीक्षक शर्मिल चौहान, रक्षित निरीक्षक पुरूषोत्तम विश्नोई, सूबेदार शिवम गोस्वामी, महिला प्रकोष्ठ में पदस्थ आरक्षक रामनारायण, महिला आरक्षक सुधा उपस्थित थे।

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