पुनर्वास पैकेज व सिलिकोसिस से हुई मौतों का सच जानने पहुंची सुप्रीम कोर्ट की नियुक्त कमेटी

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अलीराजपुर लाइव के लिए Alirajpur bureau chief फिरोज खान (बबलू) की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट-
सिलिकोसिस से हुई मौतों और उसके पीडि़तों के पुनर्वास का सच जानने सुप्रीम कोर्ट द्वारा भेजी गयी एक स्वतंत्र कमेटी विगत दो दिनों से पुनर्वास का सच जानने की कवायद में जुटी है। इस टीम का नेतृत्व डॉ.एचएन सैयद कर रहे है जो कि नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑक्यूपैशनल हेल्थ के पूर्व निदेशक और डब्ल्यूएचओ के सलाहकार है। उनके साथ इस टीम में डॉ.एचजी संधु (डायरेक्टर एनआईओएच-अहमदाबाद एवं अमूल्य निधी जो कि सिलिकोसिस पीडि़त संघ के याचिकाकर्ता है शामिल है। इस दल ने अपने तीनों जिलों के दौरे के दौरान कुछ स्थानीय हेल्थ व श्रम विभाग के अधिकारी भी शामिल थे।
पुनर्वास पैकेज से संतुष्ट नहीं है कमेटी-
सुप्रीम कोर्ट द्वारा भेजी गयी डा सैयद के नेतृत्व वाली कमेटी पुनर्वास पैकेज को लेकर मध्यप्रदेश सरकार के दावों से सहमत नहीं है। दरअसल मध्यप्रदेश सरकार ने 2015 मे शपथ पत्र दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वह सिलिकोसिस पीडि़तों को 1200 रुपए और मृतक पीडि़तों की विधवाओं को 750 रुपए पेंशन दे रही है। मगर कमेटी के सामने जब अकाउंट डिटेल आई और कुछ पीडि़तों से चर्चा हुई तो यह बात सामने आई की ऐसी कोई पेंशन नहीं दी जा रही है जो सिलिकोसिस से जुड़ी हो। सरकार नियमित योजनाओं में उन्हें 150 रुपए पेंशन दे रही है । इस समिति के प्रमुख डॉ.एचएन सैयद ने बताया कि अपने दो दिवसीय झाबुआ-अलीराजपुर जिले के दोरै के दोरान वे पुनर्वास से संतुष्ट नहीं हैं। डॉ. सैयद कहते है कि पुनर्वास को लेकर ठोस काम किए जाने की जरुरत है। डॉ. सैयद के अनुसार कुछ लोगों को कपिलधारा या इंदिरा आवास जैसी योजना में लाभ देने का सरकारी दावा है, मगर हम चाहते है कि सिलिकोसिस को अलग से लिया जाये और कोई ठोस योजना मध्यप्रदेश सरकार सामने लाए। क्योंकि यह तो आम योजनाएं है जो सामान्य नागरिकों को देना सरकारी जिम्मेदारी है। मगर इसमें भी सिलिकोसिस पीडि़तों को ठीक से लाभ नहीं मिला है। डॉ. सैयद कहते है कि सिलिकोसिस का बुरी तरह से शिकार हुए झाबुआ और अलीराजपुर जिले में हेल्थ सुविधाओं की सिलिकोसिस एंगल से भारी कमी है। क्योंकि सिर्फ झाबुआ एवं अलीराजपुर जिला अस्पताल में ही डिजिटल एक्स-रे की सुविधा है सामुदायिक हेल्थ सेंटर्स पर नहीं है। ऐसे में सिलिकोसिस पीडि़त को त्वरित पहचान संभव नहीं हो पाती। अगर हो जाये तो उसे पहले ही रोका जा सकता है इस लिहाज से सिलिकोसिस पीडि़त जिलों में हेल्थ सुविधाओं को बढ़ाने की जरुरत है। डॉ. सैयद कहते है कि हम अपनी रिपोर्ट में पुनर्वास पैकेज की विसंगतियों के साथ साथ बेहतर ैहेल्थ सुविधाओं की वकालत करेंगे ताकि प्रथम दृष्टया ही सिलिकोसिस की संभावना को आंका जा सके। डॉ. सैयद आगे कहते हैं कि झाबुआ-अलीराजपुर और धार के सिलिकोसिस पीडि़तों को गुजरात से जो सिलिकोसिस हुआ है, उसके फैलने अऔर शरीर को असहाय बनाने की गति बेहद खतरनाक थी जबकि दूसरे इलाकों मे यह सिलिकोसिस धीमी गति से फैलता है और 15 से 20 साल तक का समय रोगी को देता है। मगर यहां 2 से 5 साल मे रोगी की मौत हो रही है।
सिलिकोसिस पीडि़त संघ की और से नए आंकड़े-
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित इस कमेटी मे सिलिकोसिस पीडि़त संघ की और से अमूल्य निधि भी शामिल है जिन्होंने अपने संगठन की और से कमेटी और जिला प्रशासन धार-झाबुआ-अलीराजपुर को नए आंकड़े उपलब्ध करवाये है। सिलिकोसिस पीडि़त संघ के अमूल्य निधि कहते है कि सन् 2006 में जब केस राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और उसी स्टेटस पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुना गया औरर मई 2016 मे गुजरात सरकार को मृतकों को 3-3 लाख का मुआवजा देने ओर मध्यप्रदेश सरकार को पीडि़तों यानी मरीजों का पुनर्वास देने का आदेश दिया तो उस समय के स्टेटस के अनुसार 238 सिलिकोसिस मृतकों के परिजनों को गुजरात सरकार ने 3-3 लाख का मुआवजा दे दिया लेकिन आज के समय तक मौत का कुल आंकडा 589 हो चुका है जिनमें से 238 को मुआवजा मिल चुका है। इसलिए 351 सिलिकोसिस के शिकार बनने वालों को मुआवजा देना बाकी है और इसी तरह झाबुआ-धार-अलीराजपुर जिले के कुल 1132 सिलिकोसिस पीडि़तों (मरीजों) को पुनर्वास पैकेज देना बाकी है। अमूल्य निधि कहते है कि सिलिकोसिस पीडि़त संघ सरकार के पुनर्वास पैकेज के तरीको से बिलकुल भी संतुष्ट नहीं है क्योंकि सरकार शपथ पत्र के जरिए झूठ बोलती है और पुनर्वास पैकेज कागजों पर ही चल रहा है अमूल्य कहते है कि खुद कमेटी के प्रमुख ने हकीकत देखी है हमारे कहने को तो सरकार हमेशा खारिज करती आई है। अमूल्य कहते है कि पुनर्वास पैकेज के साथ साथ सरकार को यह भी बताना चाहिए कि आगे यहां के लोग सिलिकोसिस का शिकार गुजरात जाकर न बने उसके लिए सरकार के पास क्या योजना है? क्या वह आदिवासियों को यहीं पर रोजगार दिलवाने की किसी योजना पर काम कर रही है? सुप्रीम कोर्ट द्वारा भेजी गई इस स्वतंत्र कमेटी पर भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी ओर झाबुआ जिला पंचायत के सीईओ अनुराग चौधरी कहते है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित इस स्वतंत्र कमेटी से हमारा संवाद हुआ है, हमने अपनी पुनर्वास को लेकर कार्ययोजना बताई है और बहुत सी नई जानकारियां और दस्तावेज कमेटी से हासिल किए है ताकी जहां चूक हो उसे सुधारा जा सके। क्योंकि कमेटी और हमारा समान उद्देश्य है।

यह नवीनतम आंकडे सामने आए-
जिला                   गांव                     पीडि़त
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झाबुआ                  54                      832
अलीराजपुर            33                       616
धार                       18                       273
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जिले –   3 गांव       101            पीडि़त-1721

                इसे ऐसे समझें
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            कुल पीडि़त –         1721
               कुल मृत –          589
        मुआवजा मिला –        238
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मुआवजा देना शेष –            351
        पुनर्वास शेष –            1132

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