पागलों की हरकतें किसी दिन हादसे का सबब न बन जाए

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

कहते हैं कि पागलों का कोई भरोसा नहीं होता है कब क्या हरकत कर दे कोई परेशानी खड़ी कर दे आम्बुआ कस्बे में भी ना जाने कहां से पागलो का आना जाना लगा रहता है वर्तमान में भी दो पागलों का डेरा यहां जमा हुआ है तथा इनकी नित नई हरकतें किसी दिन कोई मुसीबत खड़ी ना कर दे

आम्बुआ के शमशान घाट पर विगत 1 वर्ष से अधिक समय से शवदाह के लिए बने अधूरे स्थल पर डेरा डाले हुए हैं श्मशान घाट वह स्थल जहां दिन में भी अकेला व्यक्ति जाने से घबराता है वहां वह पागल रात्रि में सोता है बरसात में उसने पानी से बचने हेतु बरसादी लगाकर अपने आपको सुरक्षित किया

एक अन्य पागल बहुरुपिया की वेशभूषा में घूमता रहता है इसे देखकर बच्चे डर जाते हैं इसी पागल ने एक ऐसी हरकत की कि वह हथनी नदी के पुल की दिवार (पाल) जिसकी चौड़ाई मात्र 6-7 इंच की है के ऊपर लेट कर सो गया पुल की ऊंचाई नदी से ऊपर लगभग 25-30 फुट से अधिक है तथा नीचे सूखी नदी है कंकर पत्थरों के साथ-साथ चट्टाने भी है यदि ऊपर से गिर जाता तो उसका बचना मुश्किल था कुछ लोगों ने जैसे-तैसे नीचे उतारा तथा वहां से भगाया यदि वह ऐसी ही हरकतें करता रहा तो कभी भी हादसे का शिकार हो सकता है जो कि प्रशासन के लिए परेशानी का सबब बन सकता है उसके पूर्व उन्हें यहां से अन्यत्र भेज देना जरूरी माना जा रहा है

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