पतंजलि का बहिष्कार कर फूंका बाबा रामदेव का पुतला, बिरसा ब्रिगेड द्वारा एट्रोसिटी एक्ट 1989 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज करने की मांग की

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पियुष चन्देल, अलीराजपुर

गत दिनों योग गुरु बाबा रामदेव द्वारा दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों के लिए कार्य करने वाले सामाजिक रजिस्टर्ड सवैधानिक संगठनों को सार्वजनिक मंच से वैचारिक आतंकवाद बताया था, जिसके बाद पूरे देश के बहुजन समाज के सभी संगठनों में रोष है, और तब से लेकर आज तक बाबा रामदेव का विरोध जारी है।देशभर के हजारो ब्लॉक, तहसिल, कस्बों व जिला मुख्यालय में बाबा रामदेव के पुतले का दहन कर एट्रोसिटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करने की मांग की जा रही है।
इसी कड़ी में आज अलीराजपुर जिला मुख्यालय में भी पूर्व सूचना अनुसार सुबह 11:00 बजे स्थानीय बस स्टेंड पर बाबा रामदेव का पुतला दहन कर रामदेव मुर्दाबाद के नारे लगाए गए और पतंजलि उत्पाद का बहिष्कार करने की बात कही और समस्त बहुजन समाज से पतंजलि प्रोडक्ट के उपयोग और विक्रय न करने की अपील की है।इस दौरान संगठन ने बाबा रामदेव को ढोंगी बाबा बताया और कहा कि बाबा रामदेव द्वारा संचालित पतंजलि पूरी तरह से वनोपज पर आधारित है, और सरकार उसे श्रेय देकर राजनीति करवा रही है।बाबा रामदेव को योग के आड़ में हजारो एकड़ जमीनें देने का काम सरकार कर रही है, और आदिवासियों को विस्थापित कर रहे है, जो गैर सवैधानिक है, और हम उसका विरोध करते है।अब बाबा रामदेव को किसी भी आदिवासी क्षेत्रों में घुसने नही दिया जाएगा ओर काले झंडे से विरोध किया जाएगा।

आदिवासी समाज व बिरसा ब्रिगेड द्वारा बाबा रामदेव का पुतला दहन कर एसपी को ज्ञापन देकर एफआईआर दर्ज करने की मांग की
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बाबा रामदेव के बयान को लेकर सालम सोलंकी द्वारा बताया की तमाम आदिवासी व दलित संगठन डा. भीमराव अंबेडकर की विचारधारा को मानते हुए भारतीय संविधान को अपना आदर्श मानकर संवैधानिक दायरे में रहकर समाज की जागृति हेतु कार्य कर रहे है। ऐसे में बाबा साहेब व भारतीय संविधान को मनाने वाले को वैचारिक आंतकवादी कहना भारतीय संविधान और पूरे लोकतंत्र का अपमान है।सुरेश सेमलिया द्वारा बताया गया कि जातिगत भेदभाव और समानता के लिए संघर्ष करने वाले संत इ.वी. रामास्वामी नाईकर “पेरियार” जो कि पूरे दक्षिण भारत मे ईश्वरतुल्य पूजनीय है, ऐसे महान समाज सुधारक का अपमान आदिवासी समाज कभी सहन नही कर सकता।मुकेश रावत ने कहा कि बाबा रामदेव जैसे व्यापारी जिन जड़ीबूटियों को बाज़ार में पतंजलि के नाम से बेच रहै है, वह पारंपरिक ज्ञान हमारे आदिवासी पुरखो से ही लिया हुआ है, बरसो से हमारा आदिवासी समाज इन्ही जड़ी बूटियों से इलाज कर 80 – 90 साल तक जीता है, ऐसे आदिवासी समाज के महान पारंपरिक आयुर्वेदिक ज्ञान की ब्रांडिंग कर गोरखधंधे के माध्यम से करोड़ो कमाकर आदिवासियों को वैचारिक आंतकवादी कहने वाले को आदिवासी माफ नही कर सकते।
बाबा रामदेव के गैर संवैधानिक बयान के कारण देश के समस्त आदिवासी, दलित व मुस्लिम समाज मे आक्रोश है। बाबा रामदेव के सार्वजनिक मंच से भड़काऊ बयान से आक्रोशित होकर आदिवासी समाज ने बिरसा ब्रिगेड के माध्यम से एसपी के माध्यम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री व राज्यपाल को ज्ञापन देकर अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के पैरा 1, 2, 3, 5, 6 का उल्लघन मानते हुए तत्काल एफआईआर दर्ज करने की मांग की अन्यथा देश भर में बाबा रामदेव के खिलाफ उग्र आंदोलन करने की चेतावनी दी।इस दौरान मुकेश रावत, सालम सोलंकी, सुरेश सेमलिया, राजेन्द्र सोलंकी, भुरु मण्डलोई, जितेंद्र, सुनील , राकेश संतोष, शंकर, आनंद सोलंकी, विक्रम कनेश सहित भीम आर्मी, जयस, मुस्लिम समुदाय के लोग उपस्थित थे।

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