निर्मला भूरिया का एक सवाल , सैकड़ो हवलदारों पर मंडराया डिमोशन का खतरा

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झाबुआ / अलीराजपुर Live डेस्क के लिऐ ” मुकेश परमार ” की EXCLUSIVE रिपोर्ट ।

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झाबुआ जिले की पेटलावद की विधायक ” निर्मला भूरिया ” द्वारा विधानसभा मे तारांकित सवाल लगाए जाने के बाद अब झाबुआ / अलीराजपुर / बड़वानी सहित प्रदेश के अन्य आदिवासी जिलों मे सामान्य  वग॔ के रिक्त पदो लिऐ बुलाकर सिपाही से हवलदार बनाए गये करीब 2 हजार पुलिस कर्मियों पर अब वापिस से सिपाही बनाए जाने का खतरा मंडरा रहा है ।

यह सवाल उठाया था निर्मला भूरिया ने –

पेटलावद विधायक निर्मला भूरिया ने अपने तारांकित प्रश्न में गृह विभाग के जरिए पुलिस मुख्यालय से सवाल पूछकर यह बात ध्यान मे लाई थी कि झाबुआ / अलीराजपुर एंव बड़वानी जिले मे सिपाही से हवलदार के प्रमोशन मे वष॔ 2012 से 2015 के बीच आदिवासी वग॔ के सिपाहीयो का हक मारा गया ओर सामान्य जिलों से गैर आदिवासी वग॔ को भुलाकर हवलदार बना दिया गया ।

पुलिस मुख्यालय बैकफुट पर

निर्मला भूरिया की चिट्ठी के बाद पुलिस मुख्यालय अब बैकफुट पर है पुलिस महानिदेशक तक ने चिट्ठी लिखकर मैदानी पुलिस अधीक्षकों को आदेश दिये है कि वह सिपाही से हवलदार बनाए गये ऐसे सभी पुलिसकर्मीयों के प्रमोशन रद्द करने की कारवाई करने के आदेश जारी किये है अब जिलों मे सूची बनाई जा रही है ताकी जल्दी डिमोशन की कारवाई की जा सके ।

ऐसे हुआ था प्रमोशन –

सन 2012 से 2015 के बीच झाबुआ / अलीराजपुर / बड़वानी सहित अन्य आदिवासी बहुल जिलों के पुलिस अधीक्षकों ने सामान्य जिलों के पुलिस अधीक्षकों को चिट्ठी लिखकर कहा कि उनके जिलों मे सामान्य वग॔ के हवलदारों के पद खाली है इसलिए जो सामान्य वग॔ के सिपाही हवलदार बनना चाहे तो उनके जिले मे सेवा देने आ सकते है इस पर अकेले झाबुआ / अलीराजपुर / बड़वानी आदि जिलों मे ही करीब 300 से अधिक सिपाही हवलदार बनकर आ गये ओर नोकरी कर रहे है ।अब इन सभी को फिर से सिपाही बनाने की तैयारी है ।

जिम्मेदारी से बच रहे है आला अधिकारी

जो आरक्षक आदिवासी जिलों मे आकर हवलदार बने थे उन्होंने उन जिलों के पुलिस अधीक्षकों को कोई पीले चावल नही दिये थे खुद वहा विभाग के जिम्मेदार अधिकारीयों जो कि सीनीयर आईपीएस थे उन्होंने विधिवत पत्र लिखकर प्रमोशन लेने कोई कहा था लेकिन अब उन्हें बिना गलती के फिर से सिपाही बनाया जाना किसी अपमान से कम नही है पुलिस मुख्यालय कोई चाहिऐ किस उन अफसरों पर कारवाई करे जिन्होंने गलती की थी मगर उन पर कोई कारवाई नही होने जा रही है इस बात कोई लेकर पुलिस विभाग मे खासा असंतोष है मगर अनुशाशन का विभाग होने से सब कुछ गुस्सा अंदर ही अंदर ही है । इस सबंध मे झाबुआ Live ने उन वकीलो से बात की जो शासकीय सेवा के मामलो के विशेषज्ञ है  उनके अनुसार किसी भी शासकीय सेवक को तभी हटाया जा सकता है जब उसने सेवा के दोरान गडबडी या गलती की हो लेकिन बिना गलती सेवन अगर किसी का डिमोशन किया गया तो कोट॔ सेवन उन्हें न्याय मिलना तय है । जानकार यह भी कहते है कि पुलिस विभाग को अपनी गलती मानकर जो वंचित रह गये है उन्हें भी प्रमोशन देना चाहिऐ लेकिन जो प्रमोशन पा गये उन्हें वापिस सिपाही बनाकर नही ।

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