नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21वीं सदी के नव भारत एवं व्यक्ति के सर्वांगीण विकास हेतु मील का पत्थर सिद्ध होगी- निलेश सोलंकी

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पीयूष चन्देल, अलीराजपुर

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर अभाविप की विबेक्स एप पर ऑनलाइन पत्रकार वार्ता संपन्न हुई। पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए प्रांत मंत्री निलेश सोलंकी ने कहा कि देश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 34 वर्ष की प्रतीक्षा के बाद भारत केंद्रित राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होने जा रही है। यह नई शिक्षा नीति 21वीं सदी के नव भारत एवं व्यक्ति के सर्वांगीण विकास हेतु मील का पत्थर सिद्ध होगी। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य ऐसे नागरिकों का निर्माण करना है, जो विचारों से, कार्य व्यवहार से एवं बौद्धिकता से भारतीय बने। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षा के अलग-अलग स्तरों पर सभी विषयों में भारतीय ज्ञान परंपरा, कला, संस्कृति एवं मूल्यों के समावेश की बात कही गई है ।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद लंबे समय से भारतीय शिक्षा एवं शिक्षा पाठ्यक्रमों में बदलाव को लेकर अपने आंदोलनों एवं प्रस्ताव के माध्यम से राज्य व केंद्र सरकार को समय-समय पर अवगत कराती आई है परिसद नई शिक्षा नीति का स्वागत करती है, और आशा व्यक्त करती है, कि देश के विद्यार्थियों में इस नीति के लागू होने से अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों का मुकाबला करने का साहस पैदा होगा ।
नई शिक्षा नीति भारत के संपूर्ण समाज की आकांक्षाओं एवं उम्मीदों के अनुरूप है, इस नीति में बहुत से बदलाव भी किए हैं। नई शिक्षा नीति में पांचवी तक की पढ़ाई मातृभाषा में होगी। शिक्षा में त्रिभाषा-सूत्र लागू किया जाएगा। क्विज, खेलकूद और व्यावसायिक शिक्षा से जुड़े विभिन्न संवर्धन गतिविधियों के लिये बिना बस्ते वाले दिन (बेगलेस डेज) को सुनिश्चित किया जाएगा। बोर्ड परीक्षाओं के पैटर्न में बड़ा बदलाव होगा। बोर्ड परीक्षाएं ज्ञान के अनुप्रयोग को जांचने पर आधारित होगी ना कि रटने की क्षमता पर। माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर से ही व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा।
सेकेंडरी तक की शिक्षा सबको देने तथा प्रत्येक विद्यार्थी को 2030 तक गुणवत्ता शिक्षा प्रदान करने का लक्ष्य है, साथ ही 2035 तक उच्च शिक्षा में जी.ई.आर. 50% तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। अभी तक देश की शिक्षा में जीडीपी का 4.43% खर्चा होता था, लेकिन इस शिक्षा नीति में जीडीपी का 6% खर्च किया जायेगा। निजी संस्थानों द्वारा मनमानी से ली जाने वाली फीस पर अंकुश लगाया जाएगा।
रिसर्च के क्षेत्र में भारत कहीं न कहीं पिछड़ा हुआ है, और इस पर जोर देते हुए इस शिक्षा नीति में रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान फाउण्डेशन की स्थापना की जाएगी। इस शिक्षा नीति में ई पाठ्यक्रम क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित किए जाएंगे, वर्चुअल लैब विकसित की जा रही है, और एक राष्ट्रीय शैक्षिक टेक्नोलॉजी फोरम बनाया जा रहा है ।
इस शिक्षा नीति में वर्तमान शिक्षा प्रणाली के विभक्त स्वरूप को दूर करते हुए शिक्षा को समग्र दृष्टि देने का कार्य किया है। शिक्षा के सभी स्तरों पर पाठ्यक्रम में तालमेल बनाया जाएगा। छात्रों के समग्र विकास को बढ़ावा देने की बात कही गई है। पाठ्यक्रम, पाठ्येतर एवं सह पाठ्यक्रम के साथ ही कला, मानविकी एवं विज्ञान और व्यवसायिक एवं शैक्षणिक जैसा सभी विषयों के पाठ्यक्रम का ही हिस्सा माना जाएगा।
समावेशी शिक्षा हेतु पिछड़े वर्ग के छात्रों हेतु विद्यालयों के निर्माण को बढ़ावा देने की दृष्टी से विद्यालय की न्यूनतम आवश्यकताओं को कम प्रतिबंधात्मक बनाने का प्रस्ताव हैं। छात्राओं की शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु एक विशेष ‘जेंडर समावेशी कोष’ (Gender Inclusion Fund) बनाया जाएगा।
स्वतंत्रता पश्चात पहली बार ऐसा हुआ है, कि सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के छात्रों में शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु ‘विशेष शिक्षा क्षेत्र’ (एसईज़ेड / SEZ) की संकल्पना रखी गयी है ।पिछड़े वर्ग की शिक्षा हेतु विशेषरूप से उपयुक्त धनराशि सुनश्चित करना, पाठ्यक्रम को और अधिक समावेशी बनाना, विशेष शिक्षा क्षेत्रों में भारतीय भाषाओं में शिक्षण देने वाले उच्च शिक्षा संस्थानों को बढ़ावा दिया जाएगा।
वर्ष 2025 तक कम से कम 50% विद्यार्थी, विद्यालयीन एवं महाविद्यालयीन दोनों स्तरों पर, व्यावसायिक शिक्षा का ज्ञान अर्जित करेंने का लक्ष्य है। माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर से ही व्यावसायिक शिक्षण को बढ़ावा दिया जाएगा। कक्षा 6 से कक्षा 8 पाठ्यक्रम में राज्य स्तर एवं स्थानीय समुदाय के महत्वपूर्ण व्यवसायिक कला, हस्तकला आदि का समावेश किया है। कक्षा 6 से कक्षा 12 तक के छात्रों हेतु विविध व्यावसायिक क्षेत्रों में इंटर्नशिप की व्यवस्था होगी। उच्च माध्यमिक स्तर के विद्यालय विविध आईटीआई, पॉलीटेक्निक महाविद्यालयों, स्थानीय उद्योग आदि के साथ संलग्न हो सहयोग से कार्य करेंगे।
इस नीति के प्रभावशील होने के बाद देश के करोड़ों विद्यार्थियों को नये भारत के निर्माण में भागीदार होने का मौका मिलेगा। इस शिक्षा नीति से चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व का समग्र विकास होगा। अभाविप अपने स्थापना काल से ही शिक्षा में बदलाव को लेकर लगातार पूरे देश में आवाज उठाती आई है। शिक्षा में बदलाव से राष्ट्रीयता के भाव के साथ ही छात्रों के व्यक्तित्व का समग्र विकास होगा। इस नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन से भारत के युवा वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी भूमिका निभा सकेंगे ।
अभाविप केंद्र सरकार और राज्य सरकार से निवेदन करती हैं, कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन हेतु ठोस योजना बनाएं साथ ही राज्य में रिक्त पड़े शिक्षकों के पदों की नियुक्ति की जाये।

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