देश का भविष्य बनाने वालो का भविष्य अंधकार में, त्यौहार मनाये कैसे, जब जेब मे नही है पैसे

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पियुष चन्देल अलीराजपुर
विद्यार्थियों को देश का भविष्य समझा जाता है, और शिक्षको को भविष्य निर्माता। लेकिन शिक्षा प्रणाली व शिक्षा व्यवस्था के कारण आज भविष्य निर्माता का भविष्य अंधकारमय हो गया है। मध्यप्रदेश के शासकीय महाविद्यालय में कई वर्षों से सेवा दे रहे अतिथि विद्वानो को शायद शासन और प्रशासन भूल ही गये है।
हाल ही में मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग ने सहायक प्राध्यापक के रिक्त पदों की पूर्ति के लिए परीक्षा आयोजित की थी, जिसमे कई गड़बड़िया सामने आ रही है। ऐसे में चयनित अभ्यर्थियों की पदस्थापन पता नही कब होगी। इसलिए रिक्त पदों पर आज भी अतिथि विद्वान अपनी सेवा दे रहे है। नए शैक्षणिक सत्र में लगभग 2 महीने समाप्त होने को है, लेकिन इन अतिथि विद्वानों को अभी तक वेतन नही मिला है।उल्लेखनीय है, कि इन अतिथि विद्वानों की बीते सत्र में विश्वविद्यालय की मुख्य परीक्षा होने से कार्यभार खत्म होने का हवाला देकर मई माह में ही सेवा समाप्त कर दी गयी थी। उसके बाद जुलाई में नए शैक्षणिक सत्र के आरंभ होने पर इनको फिर से आमन्त्रित किया गया। लगभग 2 माह बीतने को आये लेकिन इन अतिथी विद्वानों को अभी तक वेतन नही मिला है, जबकि इन्हें बच्चों की स्कूल फीस, राशन का ख़र्च, मकान का किराया आदि अनिवार्य खर्चों के लिए पैसों की आवश्यकता होती हैं।एक अतिथि विद्वान ने बताया कि जब भी वेतन की बात की जाती है, तो एक ही जवाब मिलता है, कि बजट नही हैं। नियमित प्राध्यापकों के वेतन के लिए लाखों का बजट है, लेकिन अतिथि विद्वान के लिए 20 – 25 हजार का बजट नही है।एक तो अतिथि विद्वान पहले ही अपने कैरियर और अपने भविष्य को लेकर चिंतित है। ऊपर से जो सेवा ली जा रही है, उसका भुगतान भी समय पे नही होगा तो मध्यप्रदेश के किसानों की तरह मध्यप्रदेश के अतिथि विद्वान भी कर्जदार हो कर आत्महत्या करने को मजबूर हो जाएंगे।

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