देर रात तक सवेरे किराना दुकान खुलेगी या नहीं; दुकानदार व ग्राहक असमंजस में…!

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चने आजाद नगर क्षैत्र बरझर कस्बे में 22 मार्च से लॉक डाउन हैं।। इस बीच मात्र चार दिन ही दुकानें सुबह 8 से 10 तक खोली गई। उसके बाद से ना दुकानें खुली ना ही होम डिलीवरी मिल‌ रही ।
बरझर कस्बे में कल मंगलवार को किराना दुकान खोलने को लेकर असमंजस बना हुआ हैं। दुकानदार व ग्राहक खरिदी करने के लिए सबेरे मंगलवार को खुलने को लेकर एक दुसरे को फोन लगाकर पुछ रहे हे की दुकानें खुलेगी या बंद रहेगी ।

*आज नहीं हुआ पंचायत से गांव में एलाउंस*

बरझर कस्बे के आसपास के गांव रिगोल , बडाखुटाजा , बोरकुणडिया , बड़गाव , महेंद्रा पंचायत से ग्रामीण जन व्यापार लेने आते हे । ऐसे में आज माईक से ग्राम पंचायत द्वारा बाजार खुलने या बंद रहने को लेकर एलाउंस नहीं किते जाने के चलते दुकानदार व ग्राहक असमंजस में हे ।

*22 मार्च से बंद में मात्र चार दिन खुला बाजार*

बरझर कस्बे में 22 मार्च से लाक डाउन हैं। इस बीच मात्र चार दिन ही बाजार खुला है। वह भी सबेरे 8 बजे से 10 बजे तक ऐसी स्थिति में गरीब तबके के लोगो को राशन लेने में भारी परेशानी देखने को मिल रही है ।

*एक भी व्यापारी के पास होम डिलीवरी की नहीं हे अनुमति*

खाश बात यह है कि बरझर मे एक भी व्यापारी के पास होम डिलीवरी की अनुमति नहीे है। ऐसे में आसपास की जनता खाद्यान्न सामग्री कहा से लाये । अभी तक जनता एक दुसरे से राशन लेकर अपना गुजारा कर रहे थे। जो पंचायत से 5 सो रूपए के पेकेट वह विधायक कलावती भूरिया की तरफ से राशन सामग्री से इतने दिनों तक क्या गुजारा हो सकेगा ।

*रसुखदार व जनप्रतिनिधि खामोश*

बरझर में दुकान खुलने को लेकर असमंजस बना हुआ हे वही दुसरी ओर गांव में रसुखदार व जनप्रतिनिधि खामोश है। गरीब तबके के लोगो की किसी को चिंता नहीं है ना ही प्रशासन ऐसे वक्त में रोजमर्रा गरीब लोगों को सहायता मिल पा रही हैै ना ही सहयोग ऐसे में बंद कमरों मे अपनी दास्तां बताये तो किसे ये चिन्ता गांव के जवाबदार प्रतिनिधि को आगे आकर निर्णय करना चाहिए की प्रशासन बाजार बंद रखता हे तो दुकानदारों के लिए प्रशासन से होम डिलीवरी की व्यवस्था करवाने की बात करें । परन्तु यहां मोज की राजनीति करने वाले जनप्रतिनिधियों पर से भी गरीब जनता का विश्वास उठने लगा हैं।

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