तो इसलिए ” सिंधिया ” को नहीं घोषित किया जा रहा है कांग्रेस का सीएम का चेहरा

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झाबुआ Live 

बीजेपी के खिलाफ निर्णायक लडाई मे इस बार भी कांग्रेस की गुटबाजी बाधक बनती दिख रही है चुनावी साल मे दिग्विजय दखल से सिंधिया हाशिए पर जाते दिखाई दे रहे है पढें यह राजनीतिक लेख । 

चंद्रभान सिंह भदोरिया @ चीफ एडिटर 

विगत एक साल से ” मध्यप्रदेश ” मे कांग्रेस लगातार उपचुनावों को जीत रही है शुरुआत दो साल पहले झाबुआ से हुई थी जब लोकसभा उपचुनावों मे ” कांतिलाल भूरिया ” ने पूरी बीजेपी + शिवराज कैबिनेट + सरकारी मशीनरी को मात दी थी उसके बाद अटेर – चित्रकुट – मुंगावली – कोलारस पर कांग्रेस जीती है बीजेपी अपना बचाव इन तर्कों से कर रही है कि यह सब कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की परंपरागत सीटें थी इसलिए कांग्रेस जीत गयी लेकिन शिवराज का जादू बना हुआ है । यह लिखने मे कोई दिक्कत नहीं है कि मोजूदा दोर मे ” ज्योतिरादित्य सिंधिया ” को छोडकर मतदाताओं मे दूसरे नेता उतने लोकप्रिय नहीं है जो शिवराज को टक्कर दे सके । इसलिए कांग्रेस के कार्यकर्ता लगातार इस उम्मीद में थे कि अब सिंधिया को चेहरा जल्द घोषित किया जायेगा लेकिन 10 जन पथ ने ऐसा नहीं किया । उसकी अपनी वजह है लेकिन घटनाक्रमो को अगर जोडकर देखा जाये तो संदेश काफी निकलकर आते है ओर उन संकेतों को जोडकर देखे तो कांग्रेस की नाव अभी भी भंवर मे फंसी हुई दिखाई देती है । कभी आपने सोचा कि दिग्विजय सिंह ने 6 महीने की नम॔दा परिक्रमा यात्रा क्यो निकाली ? आपने कभी सोचा कि दिग्विजय के 6 माह की नम॔दा परिक्रमा काल मे सिंधिया को 10 जनपथ ने प्रोजेक्ट क्यो नहीं किया ? दिग्विजय कैंप के अजयसिंह क्यो अब यह एलान कर रहे है कि शिवराज पर अब निर्णायक हमला दिग्विजय सिंह करेंगे ? ओर क्यो अजयसिंह ओर अरुण यादव यह कह रहे है कि सी एम का चयन तो नतीजों के बाद होना चाहिए ? खुद दिग्विजय सिंह यह इच्छा जता चुके है कि कमलनाथ को पार्टी का सी एम चेहरा बनाना चाहिए ? यह सब बातें स्पष्ट करती है कि चाहे कोई कुछ भी कहें दिग्विजय सिंह पर अभी भी 10 जनपथ का भरोसा कायम है ओर उनकी नम॔दा यात्रा के समापन के बाद उनसे मंत्रणा कर ही कांग्रेस आलाकमान कुछ फैसला करेगा ओर अगर कांग्रेस आलाकमान को दिग्विजय का इंतजार है फैसला करने के लिए तो फैसला क्या होगा इसे समझा जा सकता है मेरा अनुमान है कि कांग्रेस सिंधिया को शिवराज का विकल्प तो मानती है लेकिन सिंधिया यहाँ सफल होकर राहुल के विकल्प ना बन जाये बस यही मन मे आशंकाऐ है इसलिए 10 जनपथ के युवराज के लिए एक बार फिर मध्यप्रदेश दांव पर लगाना मंजूर है लेकिन सिधिंया मंजूर नहीं है । दूसरा बडा सवाल यह है कि दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश के जिन इलाकों से नम॔दा परिक्रमा यात्रा लेकर गुजरे वहां करीब 100 के आस-पास विधानसभा सीटें आती है ओर यात्रा के बहाने उन्होंने ना सिर्फ मुद्दे चिन्हित कर लिए बल्कि अपने 10 साल सी एम रहते जो समथ॔को की टीम तैयार की थी उससे भी रुबरु होकर लाइन अप कर लिया । मतलब साफ है कि दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश की राजनीति मे फिर से सक्रिय होते दिखेगे ओर संभव है सत्ता वापसी पर मुख्यमंत्री बन जाये या किसी समथ॔क को मुख्यमंत्री बनवा दे । कमलनाथ की बात करें तो छिंदवाड़ा के आस-पास के अलावा उन्हे पब्लिक नहीं जानती । ऐसे मे बीजेपी कांग्रेस के घटनाक्रमो पर निगाह रखें हुए है क्योकि बीजेपी को लगता है कि दिग्विजय सिंह प्रदेश मे सक्रिय होते है तो उसे सीधा फायदा है ओर आधी लडाई वह इस तरह जीत लेगी । बीजेपी दिग्विजय सिंह के हमलों से बैचैन इसलिए नहीं होगी कि जनता मे दिग्विजय सिंह अभी भी अलोकप्रिय है ओर उनके श्रीमुख से निकले आरोप उतने वजनदार नहीं रहेंगे पब्लिक की नजर मे जितने किसी ओर नेता के मुंह से लगाए जाते तो वजनदार होते । कुल मिलाकर शिवराज को लगता है कि दिग्विजय सिंह के आने से उनके खिलाफ चल रही सत्ता विरोधी हवा बदल जायेगी ओर लोगों को दिग्विजय के शासनकाल के बिजली – सडक – पानी के हालात याद आ जायेंगे जिसमें बीजेपी ने बेहतर किया है । खैर आने वाले एक महीने का घटनाक्रम कांग्रेस के भविष्य को तय कर देगा ।

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