तीसरी बार बुलाए टेंडर के लिय नहीं बिका कोई फॉर्म, अफसर करते रहे इंतजार

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अलीराजपुर लाइव डेस्क।
सरकार की आबकारी निति अब शराब ठेकेदारों के लिये घाटे का सौदा साबित होने लगी है। इसी कारण तीसरी मर्तबा बुलाए गए टेंडर में भी जिले या बाहर का एक भी शराब ठेकेदार फॉर्म लेने तक नहीं पहुंचा। इससे अजीबों गरीब स्थिति निर्मित हो गई है। जिले के 06 समूहों में शामिल 06 देषी और 13 विदेषी शराब दुकानों को लेने के लिये पहले शराब ठेकेदारों की कतार लगा करती थी, लेकिन इस बार किसी भी शराब ठेकेदार ने टेंडर के लिए फार्म लेना तक भी मुनासिब नहीं समझा। इसके पीछे बड़ा कारण यह है कि पूर्व की आबकारी नीति के अनुसार 20 प्रतिशत वृद्धि के बाद वहीं शराब ठेकेदार दुकान को आसानी से हासिल कर लेता था। परंतु वर्ष 2015-16 में सरकार ने आबकारी नीति में परिवर्तन किया और टेंडर पद्धति को प्रारंभ किया। इस टेंडर पद्धति में गत वर्ष कई दिग्गज शराब ठेकेदार शामिल हुए और जिले के छह समूहों की शराब दुकाने करीब 1 अरब 31 करोड़ में नीलाम हुई थी।
साबित हुआ घाटे का सौदा
गत वर्ष जिन शराब ठेकेदारों ने इन समूहों की दुकानों को अत्यधिक प्रतिस्पर्धा के चलते महंगें दामों पर खरीदा उन्हें बहुत ही ज्यादा आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ा क्योंकि इस वर्ष अल्पवर्षा, फसल खराब होने और मंदी के चलते शराब ठेके ठेकेदारों को मुनाफा नहीं दिला पाए। इससे इन शराब ठेकेेदारों ने वर्ष 2016-17 के शराब ठेकों में 175 प्रतिशत मूल्यवृद्धि के चलते जरा भी रूचि नहीं ली और अन्य प्रतिस्पर्धा इनका हाल देखकर ही शराब ठेका लेने की योजना बनाने से दूर हो गए।
अवैध शराब कारोबारियों की सक्रियता ने भी किया नुकसान
वहीं दूसरी ओर जिले के 6 समूहों की 19 शराब दुकानों के ठेकेदारों को क्षेत्र में अवैध शराब कारोबारियों की अत्यधिक सक्रियता से बहुत ज्यादा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ाए क्योंकि जिले भर इस वर्ष अवैध शराब कारोबारियों की सक्रियता पर आबकारी अमले द्वारा रोक लगाए जाने के बाद भी अवैध शराब धड़ल्ले और गुप चुप तौर से बिकती रही। इसके चलते शराब ठेकेदारों की दुकानों को कम शराब बिक्री का सामना करना पड़ा।
नहीं पहुंचा कोई ठेकेदार
सहायक जिला आबकारी अधिकारी केके विश्वकर्मा ने अलीराजपुर लाइव को बताया कि 6 समूहों के लिये शराब ठेकों के टेंडर का निष्पादन 1 मार्च को 1 अरब 32 करोड़ 52 लाख 78 हजार 651 रूपये आरक्षित मूल्य पर होना था। परन्तु निर्धारित दिनांक तक किसी भी समूह के लिए फार्म नहीं बिका। इसके बाद 11 मार्च को दूसरी बार टेंडर के निष्पादन की प्रक्रिया की गई। इस दिन भी कोई फार्म नहीं बिका। इस पर 18 मार्च को फिर से टेंडर निष्पादन की प्रक्रिया की गई परन्तु एक फार्म भी बिक नहीं पाया। इस संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है।

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