ढोल-ढमाकों के साथ हुआ विश्व शांति रथ का प्रवेश

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लोकेंद्र चाणोदिया, बामनिया

तपागच्छाधिपति आचार्य श्रीमद् प्रेमसूरीश्वरजी के शिष्य राष्ट्रसंत डॉ. वसंतविजयजी की प्रेरणा से तमिलनाडु के पावन तीर्थ स्थल श्री कृष्णगिरी पार्श्वपद्मावती शक्तिपीठ के 421 फुट सर्वोच्च शिखर पर 3 से 11 फरवरी को होने वाली युक्त 23वें तीर्थंकर 108 भगवान पार्श्वनाथ प्रभु की प्राण प्रतिष्ठा के लिए पूरे भारत को आयोजन में शामिल होने का आमंत्रण देने के उद्देश्य से निकाली गई विश्व शांति रथ यात्रा का शनिवार को नगर में ढोल-ढमाकों के साथ खवासा की ओर से प्रवेश हुआ। सकल जैन समाज ने पूरे उत्साह के साथ यात्रा का स्वागत किया। जगह-जगह महिलाओं द्वारा रथ में विराजमन 51 इंच सिद्ध पार्श्वनाथ की प्रतिमा का गहुली की गई। त्रिस्तुतिक संघ के संजय लुणावत ने बताया कि सकल विश्व की शांति सह संस्कार निर्माण के उद्देश्य से पूरे भारत के 11 राज्यों में इस विश्वशांति रथ यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। रथ यात्रा रेलवे स्टेशन से शुरू होकर नगर के मुख्य मार्गों से होते हुई। गुरू मंदिर पहुंची। जहां आरती के बाद नवकार मंत्र के जाप हुए।

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