झाबुआ – अलीराजपुर जिलेकी राजनीतिक हलचल
लिखवाकर लाते हैं नायक साहब
युं तो झाबुआ जिले में बीजेपी के कई जिलाध्यक्ष अपने कार्यकाल पूरा करने के पहले ही पार्टी द्वारा हटा दिये गए कारण बताया गया कि पार्टी अपनी छवि की बहुत चिंता करती है इसलिए विकेट चटका दिये गये लेकिन मौजूदा बीजेपी के जिलाध्यक्ष लक्ष्मण सिंह अपवाद साबित हो रहे हैं उनके विवादास्पद आडियो वायरल होने / दो महिलाओं के सामने आने ओर सबसे ताजा आडियो जिसमें वह उनके भाई पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाले अफसर पर रौब झाड़ते नजर आ रहे हैं कि सार्वजनिक होने के बावजूद भी लक्ष्मण सिंह का अपने पद पर कायम रहना निश्चित ही यह कहने को मजबूर करती है कि बंदा शायद किस्मत लिखा के लाया है हालांकि उनकी अपनी पार्टी के लोग दबी जुबां यह कहते सुने जाते हैं कि मास्टर सा पर या तो राम कृपा है या बलराम कृपा !!
इस तरह कलावती भूरिया को भूली कांग्रेस
कलावती भूरिया कांग्रेस और भूरिया परिवार के लिए क्या थी यह शायद किसी को बताने की जरूरत नहीं है लेकिन स्वर्गीय कलावती भूरिया की पहली पुण्यतिथि पर कलावती भूरिया को श्रद्धांजलि देने वाला एक छोटा सा विज्ञापन पार्टी या उनके नेता किसी अखबार में जारी नहीं कर सके .. केवल सोशल मीडिया के जरिए याद कर औपचारिकता पूरी कर ली गयी .. किसी ने सच ही कहा है कि सियासत सिर्फ मतलब देखती है इंसानियत नहीं ..
मुकेश पटेल कांग्रेस उम्मीदवार तय
मध्यप्रदेश विधानसभा के 2023 में होने वाले विधानसभा उपचुनाव के लिए उम्मीदवार घोषित होने में अभी हालांकि 19 महीने का वक्त ही बचा है लेकिन अलीराजपुर विधानसभा के लिए कांग्रेस का उम्मीदवार बिना लाग लपेट के अभी से तय है वह है मौजूदा विधायक मुकेश पटेल.. इसलिए दो प्रमुख वजह है पहला मुकेश पटेल का सिंधिया खेमे के साथ ना जाकर ईमानदारी से कमलनाथ उर्फ कांग्रेस के साथ रहना और दूसरा कमलनाथ के हर छमाही सर्वे में जीतने वाला विधायक साबित होना .. इस बात की बानगी आपको बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष और पूर्व विधायक नागरसिंह चौहान के मुकेश पटेल पर किये गये हालिया राजनीतिक हमलों से भी समझ आनी चाहिए दरअसल नागरसिंह चौहान समझ चुके हैं कि उनका मुकाबला मुकेश पटेल से ही होना है इसलिए राजनीति की रणनीति भी यही कहती हैं कि अभी से अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी को पहचान कर उस पर सियासी हमले किये जाये ।
UP के उपमुख्यमंत्री केशव मोर्या की हार का अध्ययन करें डाक्टर विक्रांत
यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव मोर्या 2015 में बड़े ओबीसी चेहरे के साथ यूपी के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बनाये गये 2017 में जब यूपी में सरकार बनी तो चर्चा मुख्यमंत्री उन्हें बनाये जाने की भी चली लेकिन योगी आ गये लेकिन केशव मोर्या को उपमुख्यमंत्री बना दिया गया .. उपमुख्यमंत्री बने केशव मोर्या अपनी इस जिम्मेदारी में ऐसे उलझे कि अपने विधानसभा क्षेत्र कम ही जा पाते थे और अपने प्रतिनिधियों से काम चलाते थे इसलिए जब 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव हुए तो केशव मोर्या विधायक का चुनाव ही अपनी सीट से हार गये लोग कहने लगे कि पार्टी वालों ने निपटाया है लेकिन असल वजह यह थी कि केशव मोर्या के क्षैत्र में लगातार निष्क्रिय रहने से जनता नाराज थी सो निपटा दिया .. अपने झाबुआ के डाक्टर विक्रांत भूरिया भी प्रदेश युवक कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में प्रदेश भर में सक्रिय हैं लेकिन झाबुआ से थोड़ा दुर है तो डाक्टर साहब केशव मोर्या की कहानी जरूर पढ लेना वरना ..यह पब्लिक है
कांग्रेस जिलाध्यक्ष पद क्या कांग्रेस विज्ञापन निकालकर भरेगी ?
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की हालत इन दिनों बदतर है राष्ट्रीय लेवल पर पार्टी को एक प्रोफेशनल पीके यानी प्रशांत किशोर की जरूरत पड़ रही है और इधर अलीराजपुर जिले में पार्टी को पुराने जिलाध्यक्ष महेश पटेल के जिलाध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद नया जिलाध्यक्ष नहीं मिल पा रहा ,..करीब 100 दिन होने को है और पार्टी अंतिम नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है ऐसे में सवाल यह है कि एकता के राग अलापने वाली कांग्रेस क्या अब विज्ञापन निकालकर अपना अलीराजपुर जिलाध्यक्ष चुनेगी ?