जलसंकट से खेतों में खड़ी फसलें सूखने की कगार पर, किसान हुए हालाकान

May

सिराज बंगडवाला, खरडूबड़ी

झाबुआ जिले के रामा ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले गांव खरडूबडी में करीब तीन हजार से ज्यादा की जनसंख्या है। यह के ग्रामीण जलसंकट से परेशान हो रहा है। बताया जा रहा है कि यहाँ के किसान कोरोना महामारी से परेशान हो गया था और बारिश में आंधी से खरीफ फसलों को नुकसान हुआ था जिसके चलते अब रबी फसलों गेहूं-चना-मक्का व थोड़ी बहुत बची कपास की फसलों को जलसंकट होने से सुखने का दर किसानों को सता रहा है। बताया जा रहा है कि पिछले साल धमोइ तालाब से झाबुआ के लिए पानी छोडा जा रहा था अब समस्या यह है कि झाबुआ के लिए धमोइ तालाब से पानी नहीं दिया जा रहा है। क्योंकि झाबुआ के पास धरमपुरी में बेराज डेम बनाया गया है जिसमें झाबुआ के लिए भरपूर पानी मिल रहा है जिसके कारण खरडूबडी के किसानों की यह समस्या पैदा हो रही है कि सापन नदी में नंवबर माह से पानी सूख गया है जिसके कारण किसानों की फसल सूखी पड रही है और गांव में लोगों को पीने के लिए पानी की समस्या एव मवेशी को भी पीने के लिए पानी की समस्या हो रही है। बताया जा रहा है कि सापन नदी पर धमोइ एव सालरपाडा में बेराज डेम बनाया गया है जहाँ पर भरपूर पानी है। सालरपाडा बेराज डेम में छ मिटर पानी है जिसमें से एक मिटर पानी खरडूबडी के लिए छोड़ दिया जाता है तो रबी फसलों को नुकसान नहीं होगा क्यों की सालरपाडा बेराज डेम से धाधलपुरा, लिमखोदरा, झेरावदिया, टिचकिया एवं खरडूबडी और छोटी खरडूबडी के किसानों को रबी की फसलों को फायदा हो सकता है।
यह बोले जिम्मेदार –
प्रेमसिह डामोर पंच
हमने सांसद जीएस डामोर के पास ग्राम पंचायत से आवेदन पत्र लेकर गये थे जिसके बाद सांसद गुमान सिंह डामोर ने ई साहब से फोन से खरडुबडी के पानी की समस्या बताया गया जिसके बाद ई साहब ने पानी धमोइ तालाब से छोडऩे का आश्वासन दिया गया जिसके बाद आज तक सापन नदी में धमोइ तालाब से पानी नहीं छोड़ा गया। हमें शासन से यह उम्मीद रख रहे है कि रबी फसलों को नुकसान से बचाने के लिए धमोइ तालाब या सालरपाडा बेराज डेम से पानी छुडवाकर फसलों को नुकसान से बचा ले और मवेशी एव ग्रामीणों को भी पानी मिल सके।
किसानों की जुबानी-
रमेश डामोर किसान जलसंकट से खरडूबडी के किसान परेशान हो रहें हैं क्योंकि नंवबर माह से सापन नदी में पानी सूख जाने से यहाँ के किसानों एव मवेशी और ग्रामीणों को भी नलजल योजना के अन्तर्गत पानी की समस्या हो रही है जिसके कारण किसान सोसायटी एवं साहूकार से कर्ज लिए हैं, जिसे कैसे चुकाएंगे जिसके लिए हम शासन से यह मांग कर रहे हैं कि हमें धमोइ तालाब या फिर सालरपाडा बेराज डेम से पानी छोड़ दिया जाता है तो हमारे किसानों की रबी की फसलों बच सकेगी नहीं तो आत्महत्या करने के बजाय कोई दूसरा उपाय नहीं दिखाई देता है।

पिन्टू डावर किसान-
हमारे किसानों सिर्फ सापन नदी पर जिंदा है क्योंकि इस सापन नदी के पास करीब पांच सौ से ज्यादा किसानों अपनी फसलों की बुआई कर रखीं है जैसे गेहूं, चना, कपास, मक्का की बुआई कर रखी है। अगर सापन नदी में पानी नहीं आता है तो इस फसलों को नुकसान होगा। क्योंकि अभी नवंबर माह से पानी नदी में सूख जाने से किसान चिंता में पड़ गया है और मवेशी को भी इस नदी से भी पानी पीने के लिए मिलता था और गांव के लोगों को भी पानी नहीं मिल रहा हैण्नलजल योजना के तहत इस नदी से पाइप लाइन टंकी तक की गई है जिसके कारण अर्थव्यवस्था खराब हो ती नजर आ रही है। शासन से यह अपेक्षा करते हैं कि जल्द से जल्द पानी की समस्या को लेकर अच्छा कदम उठाया जाए, जिससे गाँव के किसानों को पानी की समस्या से दूर हो सके।
शंकर भूरिया किसान –
में मुख्यमंत्री से ओर जिला प्रशासन से ये अनुरोध करना चाहता हूं कि यदि हम जल्द से जल्द पानी मिल जाये तो जो हमने खाद-बीज, पैसे उधार लिए है उनको हम यह फसल पकाकर उनको दे पाएंगे नही तो वही भी नही दे सकेंगे।

श्यामलाल पंचाल किसान-
पहले तो कोरोना महामारी की वजह से किसान को परेशानी उठानी पड़ी उसके बाद जब कपास सोयाबीन अच्छा हुआ था तो तेज बारिश और हवा के कारण वह फसले नष्ट हो गई थी।ओर जब अब यह रबी की फसल की अच्छी आस थी तो पानी नही है और जब कि धमोई तालाब ओर जो अभी बेराज बना है वहां प्रयाप्त मात्रा में पानी है अगर वहां से पानी मिल जाता है तो हम किसानों को खुशी होगी और रबी की फसल अच्छी हो गई। नही तो हम किसानों को आत्महत्या करनी पड़ेगी।