51 कुंडीय गायत्री महायज्ञ एवं श्रीमद् भागवत प्रज्ञा पुराण कथा का शुभारंभ

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ब्रजेश श्रीवास्तव, छकतला

अज्ञान ही दुख का कारण – आचार्य सूरत सिंह अमृते। अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार अखंड ज्योति परम वंदनिया माता जी जन्म शताब्दी वर्ष में अलीराजपुर के मुंडला ग्राम मे 51 कुंडीय गायत्री महायज्ञ एवं श्रीमद् भागवत प्रज्ञा पुराण कथा का शुभारंभ हुआ जिसमें आज दिनांक 10/1/2025 को भव्य शोभा कलश यात्रा छकतला गायत्री प्रज्ञा पीठ से निकलकर 14 किलोमीटर कि पैदल यात्रा करते हुए कार्यक्रम स्थल ग्राम मुंडला पहुंची, जिसमें सैकड़ों भाईयों बहनों ने भाग लिया और शांतिकुंज हरिद्वार से आए गायत्री परिवार के कथा व्यास *श्री सूरत सिंह अमृते जी* के द्वारा श्रीमद् प्रज्ञा पुराण की पावन कथा का श्रीगणेश हुआ,पहले धर्मध्वजा पताका शांति कुंज प्रतिनिधि श्री सुरतसिंह अमृते जी,जिला समन्वयक श्री संतोष जी वर्मा,कार्यक्रम प्रभारी श्री देवेन्द्र सिंह भयडीया,आदि के द्वारा पूजन कर किया गया,उसके बाद शांति कुंज कि टोली मे जिसमें संगीत कर्मकांड की टीम में श्री गोपाल मालवीय जी एवं सुनील बंशीधर जी श्री नीरज विश्वकर्मा जी एवं श्री सुनील वर्मा ने मंत्र कर्मकांड से श्रीमद् प्रज्ञा पुराण कथा का पूजन संपन्न कराया तथा कथा व्यास श्री अमृते जी ने आज बताया की समस्त दुखों का कारण अज्ञान ही है और अज्ञान के कारण ही व्यक्ति को जो खाना चाहिए वह नहीं खाता है जो पीना चाहिए वह नहीं पीता है जो सोचना चाहिए वह नहीं सोचता है जो नहीं करना चाहिए वह करता है। इसीलिए उसके जीवन में नाना प्रकार की बीमारी हो रही हैं। और जो नहीं होना चाहिए वह हो रहा है। अज्ञान के कारण आदमी भटक रहा है ।संसार में सुख खोजता है। धन और दौलत में सुख खोजता है । लेकिन वास्तविक सुख जो है वह आत्मज्ञान में है। ज्ञान का प्रकाश होते ही रत्नाकर वाल्मिक ऋषि बन जाते है अंगुलिमाल बौद्ध भिक्षुक बन जाते है । और आदमी को पता चल जाए कि कल फांसी होनी है तो उसके बाल रात भर में काले से सफेद हो जाते हैं। लेकिन ज्ञान के बल पर ही जेल में भगत सिंह दंड बैठक मारता है। और उनका वजन बढ़ जाता है कथा जीवन की व्यथा को हर लेती है ।दुख ज्ञान के बल पर समाप्त हो जाते हैं । ज्ञान ही था जिसके कारण हमारा देश जगत गुरु था। इसीलिए दैहिक दैविक भौतिक तापा रामराज काहू नहीं व्यापा। किसी प्रकार का अनाचार पापा चार नहीं होता था इस कारण से यहां पर कोई भी पापी नहीं थे। ज्ञान के बल पर रामराज्य था ।गृह गृह सबके हुई पुराना। सबके घर घर में ज्ञान की कहानी बच्चों को पढ़ाई जाती थी। सबके घर घर में रामायण और गीता पुराण पढ़ी जाती थी।हर बच्चा ज्ञान से ओतप्रोत रहता था ।आज की कथा में कथा व्यास ने बताया कि अपने बच्चों को अज्ञान से बचाना है तो कम से कम 10 मिनट 15 मिनट उसको आध्यात्मिक ज्ञान दें। माता-पिता उनके साथ बैठे और छोटी-छोटी कहानियों के माध्यम से उनको मोटिवेट करें ।इसी के साथ आज की कथा का समापन हुआ। जिसमे बड़ी संख्या में भाई बहनों ने भाग लिया* और कथा के मुख्य अतिथि जिनके श्री श्री देवेंद्र सिंह भयड़िया जी श्रीमती निर्मला भयडिया बहन जी के द्वारा आरती हुई श्री । कथा व्यास श्री अमृते जी ने बताया कल 11 तारीख को प्रातः 8:00 बजे से 51 कुंडीय गायत्री महायज्ञ एवं सायम 6: बजे श्री मद्भागवत प्रज्ञा पुराण का द्वितीय खंड पारिवारिक जीवन में स्वर्ग का अवतरण कैसे हो हमारे बच्चे भाई देवता कैसे बने हमारी बेटियां हमारे हमारी माताएं बहने देवी कैसे बने उनके अंदर देवत्व का जागरण कैसे हो परिवरिक जीवन कैसे जिए। जीवन साधना के व्यावहारिक सूत्र पर कथा होनी है जिसके लिए न घर छोड़ना पड़े न परिवार छोड़ना पड़े ना नौकरी छोड़ना पड़े ऐसा श्रीमद् भागवत प्रज्ञा पुराण की पावन कथा में कथा व्यास के द्वारा बहुत ही मार्मिक प्रसंग होने वाला है इसलिए सभी भाइयों बहनों से निवेदन है कि ठीक समय पर मंडप में पहुंचने का कष्ट करें बहुत ही सुंदर संयोग है ।कथा जिसे भव तरणी कहते हैं जो पार लगाने वाली उद्धार करने वाली है इसलिए पुनः सबसे निवेदन है कि आप इस कथा में ज्यादा से ज्यादा संख्या में आने का कष्ट करें । निवेदक अखिल विश्व गायत्री परिवार ग्राम मुंडला तहसील सोंडवा अलीराजपुर मध्य प्रदेश।

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