यज्ञ स्वयं को सभ्य और संस्कारित करने का राजमार्ग है : आचार्य सूरत सिंह अमृते

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ब्रजेश श्रीवास्तव, छकतला

आज आलीराजपुर जिले के ग्राम मुंडला में 51 कुंडीय गायत्री महायज्ञ  संपन्न हुआ जिसमें  मुख्य यजमान गोविन्द अवाश्या, दूर्सिंह कलेश, लाला कहार तीनों सपत्निक उपस्थित रहे और विशेष पूजन एवं आरती संपन्न हुई उन्होंने आचार्य अमृते जी से आशीर्वाद लिया। 

गुरु दीक्षा संस्कार संपन्न  हुए अखंड ज्योति एवं परम वंदनिया माता जी की जन्म शताब्दी वर्ष के लिए  आज समाज सेवा के लिए समय दानीयो में 16लोगों ने एक वर्ष का समय दान करने का संकल्प लिया 3 महीने के 31 समय दानी एक महीने के 22 समय दानी और1 के लिए 75 समय दानी  सप्ताह में एक दिन के लिए 306 लोगों ने समय दान देने का संकल्प लिया जो समाज के लिए एक श्रेष्ठ काम करेंगे समाज के भटके हुए युवाओं को दिशा निर्देश देने पर 10 युवाओं ने नशा मुक्त रहने का संकल्प लिया।  कथा व्यास सूरत सिंह अमृते जी ने आज कार्यक्रम की पूर्णाहुति   में बताया कि सारे संसार में विज्ञान ने बहुत शोध किया आज विज्ञान का चमत्कार ही है। आदमी गुफाओं से निकल कर के आया, जिन्हें  वनमानुष कहा जाता था लेकिन बुद्धि का विकास करके गुफाओं में से कुटिया में आया होगा झोपड़ी बनाई होगी, फिर मकान बनाया होगा फिर धीरे-धीरे गांव बसे और गांव के बाद आज गांव शहर में तब्दील होने लगे बड़े-बड़े भवन बड़ी-बड़ी अट्टालिका है । 

यह सब है बुद्धि का विकास भाइयों बहनों विज्ञान का चमत्कार जो बड़ी-बड़ी गाड़ियां हैं आज हर गांव में रोड पहुंच गई है । आज डॉक्टर हैं आज गांव गांव में मास्टर हैं कंप्यूटर हैं हॉस्पिटल  हैं स्कूल कॉलेज हैं और लोगों के पास बड़ी महंगी महंगी गाड़ियां हैं सब कुछ होते हुए जीवन में शांति नहीं है । आज न पढ़ा लिखा इंसान सुखी है न आज अनपढ़ आदमी सुखी है न गरीब सुखी है न अमिर के जीवन में शांति है न पंडित के जीवन में शांति है न विद्वान के जीवन में शांति है आज चारों तरफ अशांति ही अशांति है। तब समाधान क्या होगा आज महा पूर्णाहुति में देवेंद्र सिंह भयडीया ने गायत्री प्रज्ञा पीठ बनाने हेतु 25आरे कि भूमि दान करने का संकल्प लिया। तब उपस्थित परिजनो में से गायत्री प्रज्ञा पीठ निर्माण हेतु समयदान, अंश दान ओर सामग्री दान के लिए कहा,जिसमे 5 ट्रेक्टर इटे,18 ट्रेक्टर रेत,7 क्विंटल सरिया(लोहा),382000(तीन लाख बयासी हजार रूपए) कि घोषणा हुई। में शांतिकुंज हरिद्वार से आए यज्ञ आचार्य आदरणीय सूरत सिंह अमृते जी ने कहा यज्ञ करना एक बड़ा अस्पताल खोलने के समान है जिसमें अग्नित रोग ग्रस्तों एवं भविष्य में बीमार पढ़ने वालों का इलाज उनके घर में बैठे-बैठे ही हो जाता है यज्ञ एक समग्र उपचार प्रक्रिया है। यज्ञ पिता गायत्री माता ये है संस्कृति के निर्माता उन्होंने वेद शास्त्रों के अनेकों उदाहरणों के माध्यम से बताया कि हमारे यहां पर गांव-गांव में घर-घर में यज्ञ हुआ करते थे हर घर में गायत्री मंत्र का जाप होता था हमारे देश में बच्चा-बच्चा गायत्री मंत्र बोलता था यज्ञौ वही श्रेष्ठतम कर्म यज्ञ संसार का सर्वश्रेष्ठ कर्म है ।यज्ञ कामनाओं को पूर्ण करने वाला हैं। आज अलीराजपुर जिले तथा इस कार्यक्रम में आए सभी भाइयों बहनों ने बड़ी संख्या मे गायत्री महायज्ञ में भाग लिया। अखिल विश्व गायत्री परिवार अलीराजपुर जिले वासियों तथा अन्य परिजनो का विशेष सहयोग रहा।

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